बिहार के 40 हजार से अधिक नियोजित शिक्षकों की नौकरी खतरे में

रजनीश कुमार
पटना. बिहार के 40 हजार से अधिक नियोजित शिक्षकों की नौकरी खतरे में जाती दिख रही है. बिहार में निगरानी जांच से छूटे हुए पंचायती राज और नगर निकाय के शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग के पोर्टल पर सर्टिफिकेट अपलोड करने की मंगलवार 20 जुलाई को आखिरी तिथि है, ऐसे में 40 हजार से ज्यादा शिक्षकों की धड़कनें तेज हो गई हैं. राज्य में वैसे 88 हजार शिक्षक जिनके सर्टिफिकेट की अब तक जांच नहीं हुई थी, उनके लिए शिक्षा विभाग ने वेब पोर्टल तैयार कर सर्टिफिकेट अपलोड करने का सख्त निर्देश जारी किया था. शिक्षकों को यह निर्देश दिया गया था कि जिस प्रमाणपत्र पर वो बहाल हुए थे, वो सभी सर्टिफिकेट पोर्टल पर 20 जुलाई तक हर हाल में अपलोड कर दें, ताकि प्रमाणपत्र सही है या गलत इसकी शिक्षा विभाग जांच कर सके.
शिक्षा विभाग ने यह भी चेतावनी दी थी कि प्रमाणपत्र तय तिथि तक जमा नहीं करने वाले की स्वतः नौकरी खत्म हो जाएगी और पूर्व में भुगतान किए गए वेतन की भी सरकार वसूली करेगी. आंकड़ों की बात करें तो वेब पोर्टल पर सर्टिफिकेट अपलोड करना शिक्षकों के लिए आसान नहीं है, क्योंकि शिक्षक बताते हैं कि कहीं भी जन्मतिथि, नाम या किसी भी प्वाइंट पर सर्टिफिकेट या कागजात में जिनका अंतर है, उनका सर्टिफिकेट अपलोड नहीं हो पा रहा है. ऐसे में राज्य के आधे से ज्यादा यानि 40 हजार से ज्यादा शिक्षकों का सर्टिफिकेट अब तक पोर्टल पर अपलोड नहीं हो सका है.

अब शिक्षकों की नौकरी ही खतरे में पड़ गई है, क्योंकि मंगलवार को इसकी मियाद पूरी हो रही है. टीईटी, एसटीईटी उतीर्ण नियोजित शिक्षक संघ के प्रवक्ता अश्विनी पांडेय और परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर ब्रजवासी ने भी शिक्षा विभाग से लेकर सीएम नीतीश तक पत्र लिखकर गुहार लगाई है और पोर्टल में दर्जनों खामियां बताई है. अश्विनी पांडेय ने सरकार से आग्रह किया है सर्टिफिकेट अपलोड करने के लिए या तो 2 माह तिथि बढ़ाई जाए या ऑफलाइन प्रमाणपत्र जमा करने का निर्देश दिया जाए, क्योंकि ऐसी परिस्थिति में हजारों शिक्षकों को नौकरी गंवानी पड़ सकती है. मंगलवार की शाम तक शिक्षकों की नजर अब शिक्षा विभाग पर टिकी है कि शिक्षकों की परेशानी को देखते हुए शायद सरकार सर्टिफिकेट अपलोड करने की तिथि बढ़ा दे.






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