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बिहार कब तक रहेगा लिट्टी-चोखा के आसरे ?

– नवल किशोर कुमार सियासत भी बहुत कमाल की चीज है। इतनी कि बड़े-बड़े सूरमा तक इसकी थाह नहीं लगा सकते। क्या किसी ने सोचा होगा कि लिट्टी-चोखा के सहारे भी एक बड़े प्रदेश में होने वाले चुनाव की राजनीति की शुरूआत हो सकती है। लेकिन यही तो राजनीति है। इसमें हर किए का एक मतलब होता है। बेमतलब कुछ भी नहीं होता। इसलिए नरेंद्र मोदी द्वारा लिट्टी-चोखा खाने का खास मतलब है और इस मतलब से वे भी बेमतलब नहीं हैं जो बिहार में राजनीति करते हैं। कहने काRead More


इ मुलूक बदल रहा है बुधनमा

– नवल किशोर कुमार बदलाव जरूरी है। बदलाव न होते तो न तो धरती होती और न जीवन। जानते हो बुधनमा डार्विन एकदम ठीक बोले थे। सबकुछ बदलाव के कारण ही संभव होता है। फिर चाहे वह एकोशिकीय जीव अमीबा हो या फिर आजकल के हम इंसान। बदलाव जरूरी है भाई। एगो बात बताइए नवल भाई। आप सुबह-सुबह काहे हमको इतना ज्ञान देते हैं। क्या हो जाएगा जो हम एतना सबकुछ जान भी जाएं। हमको तो रोजी-रोटी से मतलब है। हां बुधनमा, जानता हूं कि तुम्हें रोजी-रोटी से मतलब हैRead More


बुधनमा, इतिहास मत छांट

बुधनमा, इतिहास मत छांट – नवल किशोर कुमार आज का यह पोस्ट व्यंग्य नहीं है। खबरें हैं। बुधनमा की कोई परिभाषा नहीं है आज। वह इंसान है या कुछ और? इस सवाल का जवाब भी उसे नहीं पता। वह तो सुबह-सुबह उठता है चाय/कॉफी/पेग से अपने दिन की शुरूआत करता है। अखबार पढ़ने से पहले व्हाट्सअप देखता है। फिर वह अखबार भी पढ़ता है। खैर, बुधनमा को इससे कोई दिक्कत नहीं है कि अखबारों में प्रकाशित कुछेक काम लायक खबरें पहले ही सोशल मीडिया पर उसे प्राप्त हो चुके होतेRead More


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