Friday, June 7th, 2019

 

बुधनमा अब दलित नहीं रहा

– नवल किशोर कुमार परिवर्तन संसार का नियम है। इसे सभी स्वीकारते हैं। चाहे वे किसी भी वाद के झंडा ढोने वाले क्यों न हों। लोकतंत्र भी इसी विश्वास पर आधारित है कि सत्ता का हस्तांतरण क्रमवार होते रहने से गतिशीलता भी बनी रहेगी और प्रतिनिधित्व के सवाल भी हल होते रहेंगे। भारतीय समाज में पहले ऐसा नहीं होता था। उच्च जातियों के लोगों की सत्ता बनी रहती थी। आज भी है लेकिन इसका स्वरूप बदला है। बुधनमा भी बदल गया है। हालांकि आज उसकी जाति दलित है, लेकिन वहRead More


गोपालगंज में जाम हो रहा है आम!!

इरफान अली, बिहार कथा, गोपालगंज। गोपालगंज जिला बड़े-बड़े शहरों को एक मामला में पीछे छोड़ते जा रहा है वह है जाम का मामला सोमवार हों या कोई त्यौहार पर गोपालगंज में इस तरह जाम लग जाता है जैसे कि महानगरों में जाम लगता है मगर वहां का ट्रैफिक पुलिस पूर्ण रूप से मुस्तैद रहते हैं जाम को हटाने में मगर यहां तमाशा हीन बन कर देखते रहना पसंद करते है हमारा ट्रैफिक पुलिस पिछले कुछ सालों में कई मर्तबा डिवाइडर बनाने का भी आवाज इस जिले के सामाजिक कार्यकर्ताओं केRead More


बुधनमा, इतिहास मत छांट

बुधनमा, इतिहास मत छांट – नवल किशोर कुमार आज का यह पोस्ट व्यंग्य नहीं है। खबरें हैं। बुधनमा की कोई परिभाषा नहीं है आज। वह इंसान है या कुछ और? इस सवाल का जवाब भी उसे नहीं पता। वह तो सुबह-सुबह उठता है चाय/कॉफी/पेग से अपने दिन की शुरूआत करता है। अखबार पढ़ने से पहले व्हाट्सअप देखता है। फिर वह अखबार भी पढ़ता है। खैर, बुधनमा को इससे कोई दिक्कत नहीं है कि अखबारों में प्रकाशित कुछेक काम लायक खबरें पहले ही सोशल मीडिया पर उसे प्राप्त हो चुके होतेRead More


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