हाथों में माचिस ले मेड़ों पर सिसक रहे हैं किसान

farmer kheti kisani
गोपालगंज। कुदरत की मार ने अन्नदाता किसानों को भी अन्न के लिए मुहताज बना दिया है। फसल की बरबादी से किसानों की सारी जमा पूंजी लुट गई है।  कई किसानों ने महाजनों से कर्ज लेकर गेहूं की खेती की। उम्मीद थी कि अच्छी उपज होने के बाद महाजनों के पैसे लौटा दिए जाएंगे, लेकिन, मौसम की मार की वजह से खेतों में बोए गए बीज भी नहीं लौट पाए, पूरी खेती चौपट हो जाने के बाद किसानों में हाहाकार मचा है।
जिले में गेहूं की खेती पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। फसल देख किसान खून की आंसू रो रहे हैं। वे कजर्दार हो गए हैं। उनकी उम्मीदों को खेत निगल चुके हैं। कम उपज देख दो किसानों की मौत हो चुकी है।  कुछ किसान हाथों में माचिस लेकर मेड़ों पर सिसक रहे हैं। कई छोटे किसानों के घरों में एक समय एक ही बार खाना बन रहा है। वे सर्वे वालों के आने का इतजार कर रहे हैं। कृषि विभाग की रिपोर्ट से किसानों में उम्मीद जगी है। किसानों में इस बात का गुस्सा भी है कि आखिर सांसद और विधायक किसानों के इस दर्द पर चुप्पी क्यों साधे हैं। उधर, गेहूं की बरबादी कीत्रसदी की आंच में गरीबों के घरों के चूल्हे झुलस रहे हैं।
ठेके पर खेती ने ठगा : पंचदेवरी ब्लॉक में ऐसे किसानों की संख्या ज्यादा है, जो ठेके पर खेती करते हैं। गहनी गांव के मनभरन बैेठा, अमेरिका भगत ने ठेके पर तीन-तीन बीघे में खेती की। प्रति बीघा तीन हजार रुपए बचाने की जुगत में करीब 90 हजार रुपए मुनाफा कमाने का अनुमान संजो कर रखा। आश्रम के पीछे ढलान में डूबी जमीन पर एक दाना नहीं हुआ, उल्टे दो लाख का नुकसान हाथ में आ गया। बरौली के बतरदेह के भुटकून यादव, राजेश सिंह और विश्वामित्र भगत की फसलें काली पड़ गईं। बालियां हैं, किंतु दानों में जिंदगी नहीं। सरधना में कुदरत ने धूप-छांव का खेल खेला है। जिला कृषि पदाधिकारी डॉ रवींद्र सिंह कहते है कि फसल कटनी प्रयोग की रिपोर्ट को आधार मान कर किसानों की फसल क्षति की रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी। जिला सांख्यिकी विभाग को फसल कटनी का प्रयोग कराना है। कई प्रखंडों में फसल कटनी का कार्य शुरू हो गया है।






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