‘क्विंटलिया बाबा’ से ‘जी आया नू’…नीतीश कुमार के नए ब्रांड बिहार की कहानी

पटना में बिहार सरकार के अधिकांश होर्डिंग पर छाए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
सीएम नीतीश कुमार ने किया सफल आयोजन, लोगों ने जमकर तारीफ की
प्रकाशोत्सव के सफल आयोजन से नए ब्रांड बिहार का जन्म
मनीष कुमार की रिपोर्ट. पटना: इन दिनों अगर आप पटना जाएंगे तो बिहार सरकार के अधिकांश होर्डिंग पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,  ‘जी आया नू’ जिसका मतलब पंजाबी में “आपका स्वागत है” करते दिखेंगे. बिहार में अधिकांश सिख श्रद्धालु जो गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाश पर्व के लिए जुटे थे, अब वापस जा चुके हैं लेकिन अभी तक कोई एक ऐसा व्यक्ति नहीं हैं जिसने इस प्रकाश उत्सव के आयोजन में कोई मीन-मेख निकाला हो या किसी चीज के लिए शिकायत की हो. उलटे लोगों ने सीएम नीतीश कुमार, बिहार सरकार के अधिकारियों, पुलिस और स्थानीय लोगों की जमकर तारीफ की.
पहली बार की लाखों लोगों की मेजबानी
निश्चित रूप से अब तक किसी आपदा या भूकंप के बाद राहत कामों में मुस्तैदी के लिए वाहवाही बटोरने वाले नीतीश कुमार ने पहली बार नवंबर 2005 में सत्ता आने के बाद लाखों की संख्या में आए लोगों की मेजबानी की. उन्होंने लोगो के स्वागत, आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ी. इस आयोजन के बाद उनके राजनीतिक विरोधी भी मानने लगे हैं कि न केवल एक नया ब्रांड बिहार का जन्म हुआ है बल्कि ब्रांड नीतीश की भी पुरे देश-विदेशो में चर्चा हुई है. इस आयोजन से जुड़े लोगों का मानना है कि गुरु पर्व एक राज्य के लिए परीक्षा थी जिसे नीतीश कुमार ने तैयारी और अधिकारियों, कर्मचारियों की  टीम के प्रदर्शन के बदौलत पास किया है. सवाल है कि ऐसा कैसे संभव हो पाया.
मुख्यमंत्री ने सब चीजों की मॉनिटरिंग अपने हाथ में रखी
इस सवाल का एक ही जवाब है कि तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी गई. जैसे गुरु गोविन्द सिंह के जन्म स्थान हर मंदिर साहेब जाने में एक साल पहले तक डेढ़ घंटे लगते थे तो सात साल पहले ही नीतीश कुमार ने एक नहीं दो ओवरब्रिज बनाने की सहमति दी. इसके अलावा हर मंदिर साहेब के लिए एक नई सड़क निकाली गई. खुद मुख्यमंत्री ने सब चीजों की मॉनिटरिंग अपने हाथ में रखी. मुख्य सचिव ने आयोजन की तैयारियों की समीक्षा दो दर्जन से अधिक बार की. टेंट सिटी में खिड़की से मच्छर नहीं आए और वहां नेट लगाने के आदेश तक में नीतीश कुमार खुद शामिल रहे.
ठेके देने में पूरी पारदर्शिता बरती गई जिससे भविष्य में कोई विवाद न हो और साथ ही जमीन पर काम करने वाले अधिकारियो के हर फीडबैक पर त्वरित करवाई की गई. सबसे बड़ी बात ये रही कि काम शुरू होने से लेकर अंत तक पैसे की कमी से किसी को नहीं जूझना पड़ा.
नीतीश कुमार को मालूम था कि अधिकारियों को कुछ कह देने और आदेश दे देने से जमीन पर काम नहीं होता और इसके पीछे पटना के गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की वो रैली थी जिसमे एक नहीं कई बम ब्लास्ट हुए थे. उसके एक रात पहले भी नीतीश कुमार ने तत्कालीन पुलिस महानिदेसक अभ्यानंद को पुरे गांधी मैदान की बारीकी से जांच करने के लिए कहा था लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया और आज तक नीतीश कुमार का मानना है कि अगर शायद उनके आदेश को मानकर सघन जांच होती तो गांधी मैदान में बम ब्लास्ट शायद नहीं होता. इसलिए सुरक्षा व्यवस्था में कोई कसर नहीं रखा गई. बिहार पुलिस के साथ-साथ आम लोगों को विशेष पैम्फलेट दिए गए थे जिसमें साफ-साफ बताया गया था कि गुरूद्वारे में जाने के पहले सिर ढंके, कोई पान-गुटखा खा के प्रवेश न करे. साथ ही जांच करने के समय पगड़ी और अन्य मर्यादा का पूरा ख्याल रखा जाये. इसके अलावा पुलिसकर्मियों को स्पष्ट निर्देश था कि कोई भी श्रद्धालु मिले तो उसकी हर संभव मदद की जाए. with thanks from http://khabar.ndtv.com



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