कचोटता रहेगा अमूल्य धरोहर नहीं संजोने का गम
17 देश के जैन श्रद्धालु महावीर की मूर्ति बरामदगी के लिए उपवास व आन्दोलन कर रहे है
25 सौ वर्षो से पूजन दर्शन को आ रहे हैं तीर्थयात्री
जमुई से मुकेश कुमार
मक्का और जेरुसेलम का अपने – अपने धर्म में विशिष्ट स्थान है उसी प्रकार क्षत्रियकुंड लच्छवाड़ जो जैन धर्म के २४वें तीर्थकर श्रमण महावीर का जन्म स्थान है, जैन धर्मावलम्बियों के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र रहा है| कहा जाता है कि विश्व के समस्त भूभाग से जैन श्रद्धालु अपनी पूजा अर्चना के लिए लगभग २५०० वर्ष से इस भूमिपर आते रहे है | कहा जाता है कि यह भूमि भगवान् महावीर के तीन कल्याणक च्यवन, जन्म और दीक्षा के रूप में जाना जाता है| च्यवन और दीक्षा कल्याणक मंदिर नीचे कुण्डघाट तलहटी में स्थित है जबकि जन्मकल्याणक मंदिर सात पहाड़ के उस पार है जो राजा सिद्धार्थ के राजप्रसाद के अवशेष के बगल में है| यह दुर्भाग्य है कि विगत सप्ताह जन्म कल्याणक मंदिर से भगवान् महावीर की कसौटी पत्थर कि प्रतिमा जो उनके ज्येष्ठ भ्राता नन्दिवर्धन द्वारा स्थापित कि गयी थी चोरी हो गई| यह २६०० वर्ष पुराणी भगवान् महावीर कि सबसे दुर्लभ प्रतिमा थी| जैन चिन्तक अनिलेश चन्द्र मिश्र बताते है कि यह भगवान की हुबहू उनके ही शक्ल कि प्रतिमा थी जो उनके जीवनकाल में ही उनके प्रवज्या धारण करने के बाद उनके ज्येष्ठ भ्राता ने स्थापित कराई थी | इस मंदिर का समय समय पर जीर्णोद्धार भी होता रहा | अभी पांच वर्ष पूर्व जैन समुदाय द्वारा इस स्थान पर एक भव्य जन्म कल्याणक मंदिर का निर्माण कराया गया था, किन्तु उस मंदिर को तोड़कर फिर से एक नया और आकर्षक मंदिर बनाया जा रहा है | इस बीच भगवान् महावीर की दुर्लभ प्रतिमा एक चारदीवारी के अन्दर खुले आकाश में उन्ही के भरोसे छोड़ दिया गया | इस अति महत्वपूर्ण निर्णय से प्रशासन को अवगत भी नहीं कराया गया और न उसके लिए सुरक्षा की मांग की गई | एक भव्य और आकर्षक मंदिर जिसका निर्माण अभी-अभी पूरा हुआ था उसे तोड़कर नए मंदिर बनवाने का आखिर औचित्य क्या था और इसके लिए प्रशासन को अवगत क्यों नहीं कराया गया| जैन श्वेताम्बर सोसायटी ने प्रतिमा कि सुरक्षा के लिए न खुद कोई व्यवस्था की और न ही कोई प्रशासन से मदद मांगी, इसके पीछे के निहितार्थ को समझने की आवश्यकता है|
कुंडघाट से जन्मस्थान जाने वाले सड़क मार्ग का काम अबतक पूरा नहीं हो पाया| प्रशासन द्वारा उस मार्ग पर वहां से यात्री को ले जाने में 4 वर्षो से प्रतिबन्ध लगा दिया था| यात्री प्रायः लूट के शिकार होते थे तो इस वर्ष किनके आदेश पर वाहनों को उस दुरूह मार्ग से भेजा जाता है| ऊपर जाने वाले यात्रियों से दबंग लोग गाड़ी के बहाने मोटी रकम वसूलते है और यात्रियों को भेड़ बकरियों की तरह लाद कर ऊपर की यात्रा कराया जाता है। आज १७ देशों में भगवान महावीर की मूर्ति की बरामदगी के लिए उपवास और आन्दोलन चल रहे है| सी.बी.आई. , सी.आई.डी., आई.बी. सहित बिहार पुलिस की टीमे सकुशल मूर्ति बरामदगी के लिए प्रयासरत है| मुख्यमंत्री से ले कर गृह मंत्री और सम्पूर्ण विश्व में रह रहे जैन समुदाय आज इस बात के लिए प्रयत्नशील है कि भगवान महावीर की कैसे सकुशल गृह वापसी हो लेकिन यह प्रश्न पुरे विश्व को कचोटता रहेगा कि हम इतने अमूल्य धरोहर को क्यों सुरक्षित नहीं रख पाए|
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