पटना हाईकोर्ट में अधिकांश सवर्ण जज ही क्यों?
आजादी के साढे छह दशक से अधिक समय बीतने के बाद भी सवर्ण तबके का प्रभुत्व उनकी मुट्ठी भर आबादी के बावजूद बरकरार है। विधायिका में उनका वर्चस्व दलितों व पिछड़ों में आयी राजनीतिक जागरुकता के कारण घटा है। वहीं कार्यपालिका में बाबा साहब व मंडल साहब के कारण दलितों व पिछड़ों की हिस्सेदारी बढी है। हालांकि स्थिति अब भी संतोषजनक नहीं है। लेकिन न्यायपालिका इन सबसे अलग है। आज भी न्यापालिका में दलितों और पिछड़ों के लिए कोई जगह नहीं है। पटना हाईकोर्ट के जज और उनकी जाति सवर्णों के वर्चस्व की पुष्टि करते हैं। नीतीश राज में सवर्णों के इस वर्चस्व की वजह बाद में, लेकिन अभी जरा इस सूची पर गौर करें।
पटना हाईकोर्ट के जज और उनकी जाति
जज का नाम जाति
गैर सवर्ण जज
इकबाल अहमद अंसारी अल्पसंख्यक(अति पिछड़ा)
के के मंडल यादव(ओबीसी)
नवनीति प्रसाद सिंह वैश्य(ओबीसी)
वीरेंद्र प्रसाद वर्मा केवट(अति पिछड़ा)
नीलू अग्रवाल वैश्य(ओबीसी)
विकास जैन अल्पसंख्यक
सवर्ण जज
सुधीर सिंह भूमिहार(सवर्ण)
रविरंजन भूमिहार(सवर्ण)
आदित्य कुमार त्रिवेदी भूमिहार(सवर्ण)
जितेन्द्र मोहन शर्मा भूमिहार(सवर्ण)
दिनेश कुमार सिंह राजपूत(सवर्ण)
समरेंद्र प्रताप सिंह राजपूत(सवर्ण)
चक्रधारीशरण सिंह राजपूत(सवर्ण)
अश्विनी कुमार सिंह राजपूत(सवर्ण)
अजय कुमार त्रिपाठी ब्राह्म्ण(सवर्ण)
अंजना मिश्रा ब्राह्म्ण(सवर्ण)
आर के मिश्रा ब्राह्म्ण(सवर्ण)
मिहिर कुमार झा ब्राह्म्ण(सवर्ण)
मुंगेश्वर साहू ब्राह्म्ण(सवर्ण)*उड़ीसा
शिवजी पांडे ब्राह्म्ण(सवर्ण)
प्रभात कुमार झा ब्राह्म्ण(सवर्ण)
अंजना प्रकाश कायस्थ(सवर्ण)
रमेश कुमार दत्ता कायस्थ(सवर्ण)
ज्योति शरण कायस्थ(सवर्ण)
राकेश कुमार कायस्थ(सवर्ण)
गोपाल प्रसाद कायस्थ(सवर्ण)
हेमंत कुमार श्रीवास्तव कायस्थ(सवर्ण)
विजयेंद्र नाथ कायस्थ(सवर्ण)
अहसानुद्दीन अमानुल्लाह अशराफ़ मुसलमान(सवर्ण)
टिप्पणी : यह जानकारी विश्वसनीय सूत्रों से ली गयी है और कतिपय संभव है कि इसमें कुछ त्रुटियां हों।
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