बिहार का झंझारपुर : बहुत उलझा हुआ है गठबंधनों का झोल

वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 23
(बिहार की राजनीति की सबसे जरूरी पुस्तक- राजनीति की जाति)
मधुबनी जिले के छह विधान सभा सीटों को मिलाकर झंझारपुर लोकसभा सीट का पुनर्गठन किय गया है। 1977 से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इस सीट पर देवेंद्र प्रसाद यादव पांच बार निर्वाचित हुए हैं। 2014 में भाजपा इस सीट पर पहली बार निर्वाचित हुई। भाजपा के उम्मीदवार वीरेंद्र चौधरी ने राजद के मंगनीलाल मंडल को करीब 55 हजार वोटों से पराजित किया। देवेंद्र यादव पिछले लोकसभा चुनाव में जदयू के उम्मीदवार थे और फिलहाल समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
सामाजिक बनावट
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झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र में यादव वोटरों की संख्या करीब पौने तीन लाख है। ढाई लाख के आसपास अतिपिछड़ी जा‍ति के वोटर हैं। ब्राह्मण वोटरों की संख्या पौने दो लाख के आसपास होगी। मुसलमान वोटर डेढ़ लाख के आसपास होंगे। अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या भी 15 फीसदी के आसपास होगी। मिथिलांचल का यह संसदीय क्षेत्र सामाजिक रूप से ब्राह्मण प्रभाव का माना जाता है और इस वर्चस्व के खिलाफ सामाजिक आंदोलन भी लंबे समय तक चला। इसकी अभिव्यक्ति राजनीतिक समीकरण और सरोकार पर भी पड़ा।
कौन-कौन हैं दावेदार
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झंझारपुर संसदीय क्षेत्र दोनों गठबंधनों के बीच उलझ गया है। इस सीट पर पुराने उम्मीदवार नयी पार्टी के टिकट पर आ सकते हैं, एकाध की घर वापसी भी हो सकती है। अब तक मिल रही सूचना के अनुसार, भाजपा के मौजूदा सांसद वीरेंद्र चौधरी की विदाई हो सकती है। माना जा रहा है कि भाजपा के ‘सांसद विदाई अभियान’ के शिकार दर्जन भर सांसद होंगे, उसमें कौन बचेंगे, अभी तय नहीं है। सीट शेयरिंग में दरभंगा का जदयू के कोटे में जाना तय हो गया है, वैसी स्थिति में झंझारपुर पर भाजपा का दावा भी बना रहेगा। यदि वीरेंद्र चौधरी की विदाई होती है तो उसके बाद भाजपा किसे उम्मीदवार बनाएगी। यह बड़ा सवाल है। माना जा रहा है कि भाजपा पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा को उम्मीदवार बना सकती है। उनके पिता डॉ जगन्नाथ मिश्र मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। नीतीश मिश्रा फिलहाल भाजपा मीडिया विभाग के प्रमुख हैं। झंझारपुर में ब्राह्मण वोटरों की संख्या करीब पौने दो लाख है। यदि सीट जदयू के खाते में जाती है तो पार्टी का उम्मीदवार कौन होगा। इसमें माना जा रहा है कि पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत को जदयू उम्मीदवार बना सकता है। यदि राजद से मंगनीलाल मंडल को टिकट नहीं मिला तो जदयू से भी उन्हें परहेज नहीं।
महागठबंधन के समीकरण को देंखे तो इस सीट पर समाजवादी पार्टी दावा कर सकती है। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव झंझारपुर से 5 बार सांसद रह चुके हैं। हर बार लालू यादव की पार्टी से ही सांसद रहे हैं यानी लालू के समर्थन से सांसद बनते रहे हैं। एक बार फिर वे लालू यादव के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं। यदि महागठबंधन समाजवादी पार्टी को एक सीट मिलती है तो वह सीट झंझारपुर ही होगी। इसके लिए शर्त हो सकती है। सपा और राजद के बीच बात नहीं बनी तो यह सीट राजद के खाते ही जाएगी। राजद से उम्मीदवार कौन होगा, यह बड़ा सवाल है। झंझारपुर संसदीय क्षेत्र की छह विधान सभा की सीट में से तीन पर राजद का कब्जा है और तीनों यादव जाति के ही हैं। तीनों विधायक खुद को राजद के उम्मीदवार के रूप में प्रचारित भी कर रहे हैं।
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सांसद — वीरेंद्र चौधरी — भाजपा — केवट
विधान सभा क्षेत्र — विधायक — पार्टी — जाति
खजौली — सीताराम यादव — राजद — यादव
बाबूबरही — कपिलदेव कामत — जदयू — कामत
राजनगर — रामप्रीत पासवान — भाजपा — पासवान
झंझारपुर — गुलाब यादव —राजद — यादव
फुलपरास — गुलजार देवी — जदयू — यादव
लौकहा — लक्ष्‍मेश्‍वर राय — जदयू — अमात
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2014 में वोट का गणित
वीरेंद्र चौधरी — भाजपा — केवट — 335481 (36 प्रतिशत) 
मंगनीलाल मंडल — राजद — धानुक — 280073 (30 प्रतिशत) 
देवेंद्र प्रसाद यादव — जदयू — यादव —183591 (20 प्रतिशत)
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