गोपालगंज : ये लोग नाली के कीचड़ से निकाल लेते हैं सोना

गोपालगंज की सोनार गली में कुछ रिफ्यूजी जो मध्यप्रदेश से आते हैं यहां की सोनार गली के किनारे बहने वाली नाली की कीचड़ से सोना निकालते हैं। ये तकनीक सिर्फ इन्हें ही पता है। जानिए कैसे
गोपालगंज. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जिस गंदी नाली के बगल से गुजरने में लोग नाक-भौं सिकोड़ते हैं, उसी से मध्य प्रदेश के सिद्धहस्त कारीगर हर दिन 10 से 30 ग्राम सोना निकाल रहे हैं। मीरगंज नगर के सोनार गली की नाली के कीचड़ से सोना निकालने वाले ये कारीगर लोगों के बीच कौतुहल का विषय बने हुए हैं।
बिकती भी हैं सोनार गली की नालियां
सोनार गली की नाली से कीचड़ निकाल रही मध्य प्रदेश की रीना देवी ने बताया कि वह लोग आठ-दस लोगों के समूह में विभिन्न शहरों में घूमती हैं। हर जिले में अधिकतम दस दिन रहती हैं। इसके बाद दूसरे शहर रवाना हो जाती हैं। रीना की माने तो कई शहरों में सोनार गली की नालियां सोना निकालने के लिए इन कारीगरों को बेची जाती हैं। हालांकि, मीरगंज नगर के सोनार गली की नाली से सोना निकाल रहे करीगरों से यहां के स्वर्णकार कोई शुल्क नहीं ले रहे हैं।
ऐसे नाली में पहुंचता है सोना
स्वर्ण आभूषण की सफाई या नए गहने बनाते वक्त सोने के छोटे-छोटे कण दुकान की फर्श पर गिर जाते हैं। दुकान की सफाई करते वक्त ये पानी के साथ नाली की मिट्टी में दब जाते हैं। साल में लगभग चार बार मध्य प्रदेश के कारीगर नाली से सोना निकालने आते हैं।
ऐसे अलग करते हैं गंदगी से सोना
दुकान के सफाईकर्मी झाड़ से निकलने वाली मिट्टी नाली में फेंक देते हैं। जहां नाली की ढलान खत्म होती है, वहां ये स्वर्ण कण जाकर जम जाते हैं। मध्य प्रदेश के कारीगर यहीं से नाली की पूरी गंदगी बोरियों में भर कर अपने ठिकाने ले जाते हैं और एक विशेष प्रकार के छन्नीनुमा बर्तन में रख कर उसे पहले सामान्य पानी, फिर चूने के पानी से धोते हैं।
जब सिर्फ कणनुमा गंदगी बचती है तो उसमें तरल तेजाब डालते हैं। इससे गंदगी में सोने-चांदी की मात्र का अनुमान लग जाता है और उसके बाद इसमें मरकरी डाली जाती है, जिससे सोना चमकने लगता है। इसके बाद चांदी व सोना को अलग कर लिया जाता है।

फ़ाइल फ़ोटो

सुनारों को ही बेच देते हैं सोना-चांदी
स्थानीय स्वर्णकारों के अनुसार गंदगी से सोना-चांदी निकालना विशेष कारीगरी है। इसके लिए काफी धैर्य, संयम तथा विशेष प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। गंदगी से निकला सोना-चांदी ये सामान्यत: यही बेच देते हैं। यह प्राचीन परंपरा है।
(जागरण डॉट कॉम से साभार)





Related News

  • लोकतंत्र ही नहीं मानवाधिकार की जननी भी है बिहार
  • भीम ने अपने पितरों की मोक्ष के लिए गया जी में किया था पिंडदान
  • कॉमिक्स का भी क्या दौर था
  • गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र
  • वह मरा नहीं, आईएएस बन गया!
  • बिहार की महिला किसानों ने छोटी सी बगिया से मिटाई पूरे गांव की भूख
  • कौन होते हैं धन्ना सेठ, क्या आप जानते हैं धन्ना सेठ की कहानी
  • यह करके देश में हो सकती है गौ क्रांति
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com