बिहार में कुछ होने जा रहा है क्या ?

बिहार में कुछ होने जा रहा है क्या ?
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जदयू पर चुप्पी, भाजपा पर हमले, आखिर क्या है तेजस्वी का इरादा

अरविंद शर्मा’ पटना

विपक्ष की राजनीति का सामान्य और सर्वमान्य परंपरा है सत्ता पक्ष की आलोचना। उसके फैसलों में मीन मेख निकालना। लेकिन लालू परिवार ने इन दिनों अपनी रणनीति में थोड़ा परिवर्तन कर लिया है।

जदयू पर चुप्पी साध ली है और भाजपा पर हमले तेज कर दिए हैं। यहां तक कि बिहार में भाजपा-जदयू की संयुक्त सरकार पर हमले में भी जदयू के शीर्ष नेतृत्व का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। सामान्य तौर पर राजद नेताओं के निशाने पर भाजपा कोटे के मंत्री ही होते हैं। तेजस्वी का यह स्टैंड लगभग तीन सप्ताह से हावी-प्रभावी है। इसे लेकर राजनीतिक गलियारे में अनुमानों का दौर जारी है। प्रतीक्षा भी कि बिहार में आगे क्या होने वाला है? वैसे जदयू के प्रति राजद का अचानक उमड़ा यह प्यार एकतरफा ही दिख रहा है।

पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के दौरान बिहार में दोनों गठबंधनों के बीच चेहरे की भी लड़ाई थी। भाजपा-जदयू की तरफ से नीतीश कुमार के नाम पर वोट मांगे जा रहे थे। राजद-कांग्रेस गठबंधन ने तेजस्वी यादव को आगे कर रखा था। परिणाम नीतीश कुमार के पक्ष में आया। तभी से तेजस्वी और राजद की ओर से जदयू नेतृत्व पर लगातार तीखे हमले किए जाते रहे।

यह क्रम विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव तक जारी रहा। कटु शब्दों की सूची दिन प्रतिदिन समृद्ध होती रही, जिसपर विराम तभी लगा जब राजद की जाति आधारित जनगणना की मांग पर नीतीश कुमार ने सहमति दे दी। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तबसे हमले का रुख धीरे-धीरे जदयू की ओर से हटाकर भाजपा की ओर मोड़ दिया।

जदयू पर अंतिम हमला तीन सप्ताह पहले
अग्निवीर योजना के विरोध में ¨हसा और आगजनी के मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार पर अंतिम हमला दो जुलाई को किया था, जिसमें प्रदेश भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं को केंद्रीय सुरक्षा देने पर संयुक्त रूप से दोनों दलों को कठघरे में खड़ा किया था। उसके बाद से तेजस्वी और राजद नेताओं के बयान तो लगातार आ रहे हैं, लेकिन उसमें जदयू और राज्य सरकार में कमियों की तलाश नहीं दिखती है। सिर्फ भाजपा और केंद्र सरकार को निशाने पर रखा जा रहा है।

प्रवक्ताओं को भी संकेत
शीर्ष नेतृत्व की ओर से राजद प्रवक्ताओं को भी समझा दिया गया है कि जदयू पर तीखा हमला नहीं करना है। टीवी डिबेट, बयानों और विज्ञप्तियों में मुख्य रूप से भाजपा पर ही केंद्रित करना है। हिदायत के बाद राजद के कई प्रवक्ता भी बयान देने से कतराने लगे हैं। यहां तक कि सिंगापुर में रहने वाली लालू प्रसाद की पुत्री रोहिणी आचार्या ने भी हमले का रुख भाजपा और आरएसएस की ओर कर लिया है।






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