महेंदर मिसिर, भिखारी ठाकुर और गांधीजी

महेंदर मिसिर, भिखारी ठाकुर और गांधीजी

Nirala Bideaiya 

आज महेंदर मिसिर की जयंती है। कायदे से उन पर ही बात होनी चाहिए, पर उनका स्मरण करते हुए भिखारी ठाकुर और गांधीजी की भी याद आ रही है । तीनों में एक समानता मिलती है । ये तीन ऐसे नायक होते हैं, जो पुरबिया इलाके में तवायफों को उन्हें उनका सम्मान दिलवाते हैं । मुख्यधारा में समान अधिकार दिलवाने की कोशिश करते हैं । भिखारी ठाकुर का बिदेसिया नाटक तो जानते ही हैं हम सब । उसका मर्म और मूल तो यही है कि उसके जरिये भिखारी ठाकुर रखैलीन को,जो कलकत्ते की तवायफ है, उसके प्रेम को, उसकी संतानों को घर में स्वीकार्य करवाते हैं । अब बात गांधी की तो, दो किस्से याद आ रहे हैं। एक, जब राष्ट्रीय आंदोलन के दिनों में गांधी काशी आये । काशी आये तो उन्होंने विद्याधरी बाई से मुलाकात की । अपने जमाने की मशहूर गायिका, कलाकार । उन्होंने कहा कि आपलोग भी राष्ट्रीय आंदोलन में अपना योगदान दे । गांधी ने विद्याधरी भाई से खुद यह आग्रह किया । असर यह हुआ कि अखिल भारतीय तवायफ संघ बना । तवायफों ने चंदा किया । राष्ट्रीय आंदोलन में दान दिये । गांधी कलकत्ता पहुंचे तो उन्होंने खुद पहल कर गौहर जान से मुलाकात की । गौहर जान को गांधी ने कहा कि मेरी इच्छा है कि आप अपना विशेष कंसर्ट राष्ट्रीय आंदोलन के लिए चंदा जुटाने के लिए भी करें । गौहर जान के लिए यह अविश्वसनीय था कि युगपुरूष उन्हें सामने से आकर जुड़ने का आह्वान कर रहा है । गौहर जान ने ऐसा किया । और महेंदर मिसिर की बात तो हम सब जानते ही हैं । वह तो अपने समय में पुरबिया इलाके के तवायफों, गायिकाओं के आधार सरीखे थे । बनारस से कलकत्ता के बीच जो पुरबिया इलाका बनता है, इस इलाके में बसी तवायफों का महेंदर मिसिर से रागात्मक लगाव था । भोजपुरी में लिखनेवाले महेंदर मिसिर उनके लिए हिंदी-उर्दू गजलों को लिखना शुरू कर दिये थे, ताकि उनकी महफिल गुलजार रहे । और यह किस्सा तो सब जानते ही होंगे जब महेंदर मिसिर को अंग्रेजों ने पकड़ लिया और उनके जमानत लेने की बारी आयी तो न जाने कितनी तवायफें पटना पहुंच गयी अपने गहना-पटोर और पैसे के साथ । जज के सामने यह अर्जी लेकर कि हुजूर कितनी रकम चाहिए बाबा के जमानत के लिए। जीवन भर की कमाई हम न्योछावर कर देंगी, बस बाबा का जमानत चाहिए।

(आज महेंदर मिसिर की जयंती है—2)

 

Nirala Bideaiya के फेसबुक टाइमलाइन से साभार






Related News

  • लोकतंत्र ही नहीं मानवाधिकार की जननी भी है बिहार
  • भीम ने अपने पितरों की मोक्ष के लिए गया जी में किया था पिंडदान
  • कॉमिक्स का भी क्या दौर था
  • गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र
  • वह मरा नहीं, आईएएस बन गया!
  • बिहार की महिला किसानों ने छोटी सी बगिया से मिटाई पूरे गांव की भूख
  • कौन होते हैं धन्ना सेठ, क्या आप जानते हैं धन्ना सेठ की कहानी
  • यह करके देश में हो सकती है गौ क्रांति
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com