गोपालगंज की राजनीति में किस खेत के ‘मूली’ हैं अति पिछड़ा

गोपालगंज की राजनीति अति पिछड़ा कोई फैक्टर ही नहीं है ?

बिहार कथा, गोपालगंज। जिले की राजनीति के पीछे 20 सालों के इतिहास पर नजर दौड़ा जाए तो यह मिलेगा की पक्ष और विपक्ष किसी ने अति पिछड़ा को टिकट योग्य नहीं समझा । यानी पिछले 20 सालों में किसी भी मुख्य राजनीतिक दलों ने अति पिछड़ा समाज के किसी व्यक्ति को टिकट नहीं दिया। कहा जाएं तो 2005 से ही अति पिछड़ा समाज का ज्यादातर वोट एनडीए के पक्ष में मिलता रहा है लेकिन एनडीए में अति पिछड़ों के वोट से राजपूत और ब्राह्मण मलाई खाते रहे हैं । एनडीए ने 15 सालों में किसी अति पिछड़ा को जिले के किसी विधानसभा सीट से मौका नहीं दिया । एनडीए के लिए अति पिछड़ा को विधायक बनाना काफी आसान काम है लेकिन ब्रह्मनों और राजपूतों के वर्चस्व के वजह से अति पिछड़ा के साथ-साथ भूमिहार भी हाशिए पर चले गए हैं ।

2020 के चुनाव का बिगुल बज चुका है पूरा बिहार चुनावी मोड में वा वाइब्रेंट हो रहा है लेकिन अति पिछड़ा समाज का कोई भी कैंडिडेट टिकट की रेस में दिखाई नहीं दे रहा है । महागठबंधन हो या एनडीए कहीं भी अति पिछड़ा के लिए कोई संभावना नहीं दिख रहा है । लालू यादव के लिए अति पिछड़ा जिन्न हुआ करते थे राष्ट्रीय जनता दल तेजस्वी यादव के नेतृत्व में अति पिछड़ों को अपने संगठन में तो जगह दे पाया है लेकिन टिकट में जगह दे पाएगा यह देखना काफी दिलचस्प है । राजद यदि गोपालगंज में अति पिछड़ा समाज के स किसी को टिकट देता है तो उसे जिले के 6 विधानसभा में अति पिछड़ों के वोट को अपने प्रत्याशी के पक्ष में गोलबंद करने का मौका मिल सकता है । अति पिछड़ा नीतीश को छोड़कर राजद के तरफ क्यों आएंगे ? गोपालगंज राजद के रणनीतिकारों को इस पर मंथन करना होगा ।

जब तक अति पिछड़ा वोट एनडीए से राजद के तरफ नहीं आएगा तब तक राजद जिलें में किसी भी सीट को जीतने में सफल नहीं होगा । एनडीए मैं तो संभव नहीं है कि वह अति पिछड़ा के लिए कोई व्यवस्था कर सके लेकिन एनडीए के इस कमजोरी का फायदा चाहे तो महागठबंधन उठा सकता है ।

महागठबंधन से सीटों का गणित कुछ इस तरह हो सकता है 3 सीट पर यादव और मुस्लिम लड़ेंगे , 1 सीट सुरक्षित है, एक सीट पर कुशवाहा समाज की मजबूत दावेदारी है अब छठा सीट राजद या तो स्वर्ण को देगा या अति पिछड़ा को दे सकता है ।

एनडीए के तरफ से कम से कम 4 सीट पर स्वर्ण उम्मीदवार ही होंगे 1 सीट सुरक्षित है एक सीट पर कुशवाहा को देगा । इस परिस्थिति में राजद अपना एक स अति पिछड़ा को दे सकता है ।  राजद गठबंधन के पास एक सीट पर अति पिछड़ा या स्वर्ण में से एक को चुनना है। उसमें से राजद गठबंधन वह सीट स्वर्ण को देता है तो उससे स्वर्ण वोट का कुछ हिस्सा ही उस सीट पर मिलेगा । इसके अलावा और कहीं स्वर्ण वोट नहीं मिलेगा क्योंकि उसके विपक्ष में 4 सीट पर एनडीए के स्वर्ण ही हैं । 

राजद के पास 2020 के चुनाव में अति पिछड़ा को टिकट देने का एक सुनहरा अवसर है जिसका व्यापक फायदा उसे जिले के अन्य सीटों पर मिलेगा राजद बैकुंठपुर बरौली गोपालगंज और कुचायकोट इन 4 विधानसभा सीटों में स्वर्ण को टिकट देता है उस और समुदाय का 30% से अधिक वोट अपने पाले में नहीं कर सकता है क्योंकि इन चारों सीटों पर एनडीए के तरफ से स्वर्ण उम्मीदवारों का होना लगभग तय है यदि उपरोक्त 4 सीटों में कहीं भी राजद अति पिछड़ा को टिकट दे देता है तो अति पिछड़ा समाज का पूरा वोट उस सीट पर राजद को जाएगा और साथ ही अन्य सीटों पर राजद के प्रत्याशी अति पिछड़े नेताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने में कामयाब हो सकते हैं ।

अति पिछड़ा समाज के जिले के बुद्धिजीवी नेताओं को इस राजनीतिक विश्लेषण को राज्य के शीर्ष नेताओं नीतीश कुमार और सुशील मोदी के साथ-साथ तेजस्वी यादव तक पहुंचा देने में मदद करनी चाहिए जब तक आप अपने अधिकार के लिए आवाज नहीं उठाएंगे तब तक आपके लिए कोई नहीं बोलेगा कोई नहीं लड़ेगा ।



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