मल्लिनाथा

मल्लिनाथा
पुुष्यमित्र केे फेसबुक से साभार
तकरीबन तीन हजार साल पहले मिथिला में एक राजकुमारी हुआ करती थी, मल्लिनाथा। वह दिव्य सुंदरी थी। इतनी सुन्दर थी कि उसकी खूबसूरती का जिक्र सुनकर छह अलग अलग राजाओं ने उसके पिता के पास उससे विवाह का प्रस्ताव भेज दिया। मल्लिनाथा सिर्फ सुंदरी नहीं थी, वह कला मर्मज्ञ और विदुषी भी थी। उसके पिता को इनमें से किसी राजा का प्रस्ताव अपनी सर्वगुण सम्पन्न पुत्री के लिये नहीं जंचा। उन्होंने इनकार कर दिया।

इस इनकार को वे राजा बर्दास्त नहीं कर पाए। उन सभी छह राजाओं ने मिलकर मिथिला पर आक्रमण की तैयारी शुरू कर दी। मल्लिनाथा के पिता यह खबर सुनकर परेशान रहने लगे। पिता की परेशानी देखकर मल्लिनाथा ने उनसे कहा कि आप उन सभी राजाओं से कह दें कि मैं उनसे विवाह करने के लिए तैयार हूं। आप सभी को एक साथ बुला लें। राजा ने सभी को आमंत्रित कर लिया।

इस बीच मल्लिनाथा ने छह कमरे बनवाये और सभी कमरों में अपनी एक-एक आदमकद जीवंत प्रतिमा बनाकर खड़ी कर दी। हर प्रतिमा के सिर पर एक छेद कर दिया था, उस छेद से उसकी दासियाँ रोज भोजन सामग्री डाल देती और छेद का मुंह ढक्कन से बंद कर देती। जब वे राजा मल्लिनाथा के महल में पहुंचे तो राजा ने सभी को अलग अलग कमरों में भेज दिया। कमरे के बाहर से मल्लिनाथा की मूरत देख कर वे सहज ही अंदर खिंचे चले गए। मगर जो भोजन रोज प्रतिमा के अंदर डाला जाता था, वह सड़ कर भीषण बदबू दे रहा था। वे राजा कमरे के भीतर रह नहीं पाए। बाहर आ गए।

बाहर आने पर मल्लिनाथा ने उन सबों से पूछा कि आप इतनी सुंदर महिला को छोड़ कर बाहर क्यों आ गए। सभी राजाओं ने कहां अंदर भीषण बदबू आ रही थी, वहां रहना मुश्किल था।

इस पर मल्लिनाथा ने कहा, अंदर जो बदबू आ रही थी, वह उसी भोजन के सड़ने की थी, जिसे मैं रोज खाती हूँ। मैं जीवित हूँ, इसलिये मेरे शरीर से बदबू नहीं आती। उसने कहा, यह शरीर जब खत्म हो जाएगा तो यह भी इसी तरह बदबू देने लगेगा। फिर इस शरीर से आपको क्यों आकर्षण है?

मल्लिनाथा की बात सुनकर सभी छह राजाओं ने कहा कि उन्हें आज असली ज्ञान की प्राप्ति हुई है। यही मल्लिनाथा आगे चल कर जैन सम्प्रदाय की 19वीं तीर्थंकर बनी। श्वेताम्बर संप्रदाय के मुताबिक वे जैन धर्म की इकलौती महिला तीर्थंकर थीं। यह हमारे लिये अतिरिक्त रुचि का विषय है कि वे बिहार और मिथिला की थीं।

हालांकि दिगम्बर जैन सम्प्रदाय के लोग उनके महिला होने पर आपत्ति करते हैं। उनका मानना है कि कोई भी व्यक्ति महिला शरीर से मोक्ष की प्राप्ति नहीं कर सकता। महिला भी अपने सत्कर्मों से पुरुष रूप में अगला जन्म ले कर ही मोक्ष प्राप्त कर सकती हैं। मगर देश में कई जगह महिला रूप में मल्लिनाथा की प्रतिमा मिली हैं। इस पोस्ट के साथ लगी मल्लिनाथा की प्रतिमा लखनऊ के एक म्यूजियम में रखी है।

मल्लिनाथा ने पूरे देश में घूमकर अपने विचार से लोगों को प्रभावित किया और खासकर लोगों को स्त्री जाति को उसके शरीर से परे देखने के लिये प्रेरित किया। बौद्ध, जैन और दूसरे व्रात्य सम्प्रदाय की कर्म भूमि होने के कारण बिहार में ऐसे कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने जन्म लिया। मगर कई वजहों से हम उनके बारे में बहुत कम जानते हैं।

#व्रात्य1






Related News

  • लोकतंत्र ही नहीं मानवाधिकार की जननी भी है बिहार
  • भीम ने अपने पितरों की मोक्ष के लिए गया जी में किया था पिंडदान
  • कॉमिक्स का भी क्या दौर था
  • गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र
  • वह मरा नहीं, आईएएस बन गया!
  • बिहार की महिला किसानों ने छोटी सी बगिया से मिटाई पूरे गांव की भूख
  • कौन होते हैं धन्ना सेठ, क्या आप जानते हैं धन्ना सेठ की कहानी
  • यह करके देश में हो सकती है गौ क्रांति
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com