रिश्तेदार कहते थे मूर्ख लड़की की शादी कराओ, आज वह बीपीएससी टॉप कर गई

रिश्तेदार कहते थे बेवकूफ लडकी की शादी कराओ, आज वह बीपीएससी टॉप कर गई
बिहार कथा न्यूज नेटवर्क.
 ऐसा कई बार होता है कि जब कोई किसी को बेवकूफ समझत कर उसके लिए कुछ नया सलाह देते हैं, लेकिन वक्त आने पर वही बेवकूफ सफलता की दुनिया में मील का पत्थर बन जाता है. ऐसा ही एक वाक्या हुआ है बिहार में.अनु भारती बिहार के सहरसा जिले की है. वह बचपन से पढ़ाई में अच्‍छी नहीं थीं. रिश्तेदार उसे बेवकूफ समझ कर उसके घरवालों को उसकी शादी कराने की सलाह देते थे. लेकिन उन्‍होंने धीरे-धीरे खुद में सुधार किया और पढाई में बेहतर किया. इसकी नतीजा ये हुआ कि टॉपर्स की लिस्‍ट में अपना नाम दर्ज कराया. अनु भारती ने पढ़ाई में खुद को बेहतर कर लिया था लेकिन जब वो 12वीं में पहुंची तो उनके महज 48 फीसदी नंबर आए थे. इसकी वजह से अनु बुरी तरह टूट गई थीं. उन्‍हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर अब वो क्‍या करें. अनु के कम नंबर आने पर भी उनके पिता उन्‍हें इंजीनियरिंग कराना चाहते थे. इसके लिए उन्‍होंने बकायदा अनु को कोचिंग में एडमिशन दिला दिया. लेकिन यहां भी अनु बुरी तरह फेल हो गईं. लगातार तीन प्रयास के बाद भी जब अनु को सफलता नहीं मिली तो वो बुरी तरह हताश हो गई थीं.
अनु की इस असफलता के बाद उनके रिश्‍तेदारों से लेकर आस-पड़ोस के लोगों ने ताना मारना शुरू कर दिया था. सोसाइटी के लोग अक्‍सर उनके पिता को आकर कहते थे कि बेटी को पढ़ाने से अच्‍छा है शादी कर दीजिए. बेटी को बेकार ही पढ़ाया. बेटी में वो जुनूनियत नहीं है पढ़ाई को लेकर. अनु के पिता को ये सब सुनना पड़ता था. अनु ने एक इंटरव्‍यू में बताया कि, लोग उन्‍हें बेवकूफ कहा करते थे. वो लोगों की बातों से इतना परेशान हो गई थीं कि उन्‍होंने हंसना छोड़ दिया था. उन्‍हें समझ नहीं आ रहा था कि वो क्‍या करें. बस एक बात ये थी कि उन्‍होंने ऐसे हालातों में भी खुद को मजबूत बनाए रखा.
फूड टेक्नोलॉजी में की इंजीनियरिंग
अनु ने इन सब के बीच भी अपनी पढ़ाई जारी रखी. उन्‍होंने जादवपुर यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया. यहां से उन्होंने फूड टेक्नोलॉजी और बायो केमिकल इंजीनियरिंग की. कॉलेज के दौरान उन्होंने तय किया कि वो खुद में बदलाव लाएंगी.
नौकरी छोड़ शुरू की BPSC की  तैयारी
अनु को इंजीनियरिंग करने के बाद एक सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी मिल गई. इस दौरान उन्हें लगा कि वो डेस्क पर बैठकर काम नहीं कर सकतीं. बस यहीं से उन्‍होंने अपने पिता को बताया कि वो BPSC की तैयारी करना चाहती हैं. उन्‍होंने पिता को बताया कि वो बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में बैठना चाहती हैं.
पिता को नहीं था भरोसा
अनु की तैयारी के सवाल पर पिता हैरान रह गए थे. पिता ने उनसे सवाल किया कि क्‍या वो उतनी मेहनत कर पाएंगी. हालांकि अनु मन बना चुकी थी, जिसके बाद उन्होंने तैयारी शुरू कर दी.आखिरकार कड़ी मेहनत और दोस्तों से मिली हौसलाअफजाई के दम पर अनु ने अपनी पहली कोशिश में ही सफलता हासिल कर ली थी. उन्होंने बीपीएससी की परीक्षा में 63वीं रैंक हासिल की.





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