30 साल में गंवाए दो बेटे

अशोक सिंह के परिवार में फ़ौज में जाने की परंपरा
नीरज सहाय, रक्टू टोला से लौटकर (बीबीसी हिंदी डॉट कॉम)

भोजपुर ज़िले में चर्चा है कि वीर कुंवर सिंह ने आज़ादी की लड़ाई में संघर्ष और बलिदान की जो परंपरा शुरू की थी, हवलदार अशोक कुमार सिंह की मौत ने उस लौ और तेज़ कर दी है. बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसे भोजपुर के रक्टू टोला गाँव में घर है 42 साल के हवलदार अशोक सिंह का. वो रविवार को उड़ी में सेना के शिविर पर हुए चरमपंथी हमले में मारे गए.
अशोक के बड़े भाई कामता प्रसाद सिंह भी फ़ौज में थे और 1986 में राजस्थान में काम के दौरान मौत हो गई थी.
अशोक सिंह के बटे विकास कुमार सिंह बिहार रेजिमेंट में जवान हैं. छोटा बेटा विशाल पढ़ाई कर रहा है. 18 साल के विकास कहते हैं, ”मेरे परिवार से दो लोगों ने देश के लिए अपनी जान दी है. यह हम लोगों के लिए गव की बात है.” विशाल भी सेना में जाना चाहते हैं. विकास की माँ संगीता देवी ने बताया कि पति के मरने की ख़बर उन्हें टीवी से मिली. अशोक के मौत की ख़बर आने के बाद घर और गाँव में शोक की लहर दौड़ गई. ग़म के बादल अभी भी छटे नहीं है. अशोक के किसान पिता जग नारायण सिंह चुपचाप घर के बाहर बैठे थे और माँ रजमुना देवी कमरे में अपने दोनों बेटों की तस्वीरें देखकर रोए जा रही थीं. संगीता देवी ने बताया कुछ दिन पहले उनकी पति से बात हुई थी इस दौरान उन्होंने दिसंबर में घर आने के बारे में कहा था. इतना कहने के बाद ashok_father_jagnarayan_singh-biharसंगीता की आँखें डबडबाने लगीं. भारत प्रशासित कश्मीर के उड़ी में सेना के शिविर पर हुए हमले में मारे गए सैनिक अशोक कुमार सिंह के गांव के लोग. करीब डेढ़ सौ घरों वाले रक्टू टोला गांव के दस लोग सेना में हैं.इस गाँव के मनोज कुमार सिंह कहते हैं कि पकिस्तान को सबक़ सिखाने के लिए सरकार को कड़े क़दम उठाना चाहिए. अक्षय लाल चौधरी भी मनोज की बात का समर्थन करते हैं. परिवार को सांत्वना देने पहुंचे स्थानीय विधायक भाई दिनेश भी आरपार की लड़ाई की बात करते हैं.






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