महागठबंधन में ड्राइविंग सीट पर लालू, पशोपेश में नीतीश
पटना। बिहार में महागठबंधन की सरकार है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव वैसे तो किसी संवैधानिक पद पर नहीं है पर बावजूद इसके लालू प्रसाद यादव की हैसियत बिहार के अंदर कुछ वैसी ही है, जैसी केंद्र की यूपीए सरकार में सोनिया गांधी की हुआ करती थी। ऐसा कहा जा रहा है कि बिहार में महागठबंधन सरकार लालू के इशारों पर चल रही है। सरकार के ज्यादातर मंत्री उनके सीधे संपर्क में रहते हैं। लालू अधिकारियों को भी सीधे निर्देश देते हैं। लालू प्रसाद मिशन 2020 की तैयारी में भी जुट गए हैं। सरकार में नहीं रहते हुए भी लालू प्रसाद यादव की सरकार में कितनी चलती है यह किसी से छिपा नहीं है। लालू प्रसाद का इकबाल सरकार में इस कदर है कि उनकी मर्जी के बगैर कुछ नहीं होता। सरकार में शामिल सोलह विभाग के मंत्रियों की बैठक लालू सीधे लेते हैं और निर्देश भी देते हैं। सरकार की उपलब्धियों का श्रेय लेने में भी लालू लगातार बाजीगर साबित हो रहे हैं।
लालू प्रसाद यादव महागठबंधन में सबसे बड़े दल के नेता हैं। 81 विधायकों के साथ सरकार के अंदर राजद के 16 मंत्री काम कर रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस के मंत्री भी लालू प्रसाद के सीधे संपर्क में रहते हैं। हाल के दिनों में ऐसे कई मौके आए जब लालू प्रसाद यादव ने सरकार को रास्ता दिखाया और उस पर अहम फैसले लिए गए। मिसाल के तौर पर डोमिसाइल के मुद्दे पर लालू प्रसाद ने सरकार को अपने पक्ष में आने को मजबूर किया और व्याख्याता भर्ती में बिहारी छात्र ज्यादा से ज्यादा आए इसके लिए पुरजोर वकालत की। बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी पूरे मुद्दे पर सहमति देनी पड़ी। बिहार विधानसभा सत्र से पहले महागठबंधन की बैठक में बाकायदा लालू प्रसाद यादव शामिल हुए और विधायकों को मशविरा भी दिया। राज्य में बाढ़ की स्थिति पर भी लालू संजीदा दिखे और अपने दोनों बेटे तेजस्वी व तेजप्रताप के साथ लगातार बिहार के कई जिलों में हेलिकॉप्टर से दौरा करते रहे। बिहार में व्याख्याता भर्ती और शिक्षक भर्ती को लेकर भी लालू प्रसाद ने सरकार को रास्ता दिखाया और सरकार उस पर मंथन करने के लिए मजबूर हुई।
कई मौकों पर लालू प्रसाद अपनी जिद पर अड़े रहे और अपनी बात पर सरकार को भी सहमति देने के लिए मजबूर किया। मिसाल के तौर पर ताड़ी पर बिहार सरकार प्रतिबंध लगाना चाहती थी, पर लालू प्रसाद की वजह से सरकार ताड़ी पर प्रतिबंध नहीं लगा सकी। इसके अलावा लालू प्रसाद ने जिस तरीके से शहाबुद्दीन को बाहर निकलवाने में भूमिका निभाई वह भी सबके सामने है। बाहुबली अनंत सिंह पर शिकंजा कसवाने से लेकर सीसीए का प्रस्ताव भेजवाने तक में राजद अध्यक्ष ने भूमिका निभाई। अब तक के हालात से यह स्पष्ट है कि लालू प्रसाद महागठबंधन सरकार को अपनी शर्तों पर चलाने में सक्षम साबित हुए हैं. with thanks from http://hindi.eenaduindia.com/
कई मौकों पर लालू प्रसाद अपनी जिद पर अड़े रहे और अपनी बात पर सरकार को भी सहमति देने के लिए मजबूर किया। मिसाल के तौर पर ताड़ी पर बिहार सरकार प्रतिबंध लगाना चाहती थी, पर लालू प्रसाद की वजह से सरकार ताड़ी पर प्रतिबंध नहीं लगा सकी। इसके अलावा लालू प्रसाद ने जिस तरीके से शहाबुद्दीन को बाहर निकलवाने में भूमिका निभाई वह भी सबके सामने है। बाहुबली अनंत सिंह पर शिकंजा कसवाने से लेकर सीसीए का प्रस्ताव भेजवाने तक में राजद अध्यक्ष ने भूमिका निभाई। अब तक के हालात से यह स्पष्ट है कि लालू प्रसाद महागठबंधन सरकार को अपनी शर्तों पर चलाने में सक्षम साबित हुए हैं. with thanks from http://hindi.eenaduindia.com/
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