गुजरात में शराबंदी वैध तो बिहार की अवैध कैसे?

शराबबंदी के खिलाफ हाईकोर्ट में जीते शराब माफिया,
पटना उच्च न्यायालय ने शराब को प्रतिबंधित करने संबंधी अधिसूचना रद्द की
बिहार कथा न्यूज नेटवर्क
पटना।बिहार सरकार को झटका देते हुए पटना उच्च न्यायालय ने राज्य में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने संबंधी उसकी अधिसूचना को संविधान के प्रावधानों के अनुरूप नहीं होने का हवाला देते हुए आज इसे निरस्त कर दिया। मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने राज्य में शराब की खपत और इसकी बिक्री पर रोक संबंधी राज्य सरकार की पांच अप्रैल की अधिसूचना को निरस्त कर दिया। इस फैसले के साथ बिहार में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। कुछ का कहना है कि कोर्ट ने यह फैसला शराब माफियाओं के प्रभाव में आकर दिया है। यदि बिहार में शराबबंदी अवैध है तो गुजरात में वर्षों से चली आ रही शराबबंदी वैध कैसे हो सकती है? अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पांच अप्रैल को जारी अधिसूचना संविधान के अनुरूप नहीं है इसलिए यह लागू करने योग्य नहीं है। नीतीश कुमार सरकार ने कडेÞ दंडात्मक प्रावधानों के साथ बिहार में शराब कानून लागू किया था जिसे चुनौती देते हुए ‘लिकर ट्रेड एसोसिएशन’ और कई लोगों ने अदालत में रिट याचिका दायर की थी और इस पर अदालत ने 20 मई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार ने सबसे पहले एक अप्रैल को देशी शराब के उत्पादन, बिक्री, कारोबार, खपत को प्रतिबंधित किया, लेकिन बाद में उसने राज्य में विदेशी शराब सहित हर तरह की शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था।
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