कोरोनाकाल के दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मौत बिहार की राजधानी पटना में हुई और हो रही है। और दूसरे नंबर पर भागलपुर का इलाका है।
बात अगर भागलपुर के जेएलएन अस्पताल मायागंज की करें तो 700 बेड वाले कोविड अस्पताल से आजतक सैकड़ों मरीज की मौत हुई है। और उस मौत के पीछे का कारण अस्पताल में ऑक्सीजन के लो प्रेशर से आपूर्ति माना जा रहा है। अलग बात है कि भागलपुर के डीएम सुब्रत कुमार सेन व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात करते हैं, लेकिन जवाब टालमटोल कर दे रहे हैं।
ऑक्सीजन की कमी से मौत के सरकारी आंकड़े बताएं तो पिछले 24 अप्रैल से 7 मई तक तकरीबन 100 से ज्यादा कोविड मरीज की मौत हुई है। और अगर गैर सरकारी आंकड़े की बात करें तो भागलपुर के बरारी शमशान घाट के विद्युत शवदाह गृह के रजिस्टर और गंगा किनारे जलाये जा रहे लाश की संख्या 400 से ज्यादा है, जो डोम राजा और विद्युत शवदाह के संचालकों के कहे अनुसार है।
पूर्वी बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जेएलएन अस्पताल मायागंज में भागलपुर समेत 6 ज़िलों के कोविड मरीज भर्ती हैं। और कोरोना मरीजों की मौताें का सिलसिला भी जारी है। पिछले एक माह में सरकार ने इस कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल में 100 मरीजों की मौत बताई है। इनमें 85-90 मरीजों की मौतों का कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी बताई गई है। पांच मई को मायागंज अस्पताल में 14 मरीजों की मौत हुई। इनमें भी मौतों का कारण ऑक्सीजन बताया गया। इन सबके बीच अस्पताल प्रबंधन का पर्याप्त ऑक्सीजन मिलने का दावा भी दम तोड़ता नजर आ रहा है।
एक ओर परिजनों का बेहतर इलाज न होने की शिकायत और दो दिन पहले दो डॉक्टर की पिटाई व तोड़फोड़ की घटना भी ऑक्सीजन न मिलने के आरोप में की गई। जाहिर सी बात थी कि मरीजों को जितनी मात्रा में ऑक्सीजन मिलनी चाहिए, नहीं मिली। उनका शरीर धीमी ऑक्सीजन सप्लाई को जरूरत के मुताबिक नहीं खींच सका और मौत हो गई। अस्पताल में पाइप से मरीजों के बेड तक ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले ठेकेदारों ने 11 की बजाय महज 3 कर्मचारी रखे हैं। वे ठीक से सप्लाई की निगरानी नहीं कर पा रहे। आइसोलेशन वार्ड, आईसीयू, इमरजेंसी आदि में अभी भी 60 प्रतिशत बेडों पर सही तरीके से ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है।
भागलपुर के डीएम सुब्रत कुमार सेन कहते हैं कि
ऑक्सीजन लेवल घटने से मरीजों की मौत की बड़ी वजह देरी से एडमिट होना भी है। मरीजाें की
स्थिति कंट्रोल से बाहर हाेने पर परिजन उन्हें एडमिट कराते हैं।
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