#savitri bai fule

 
 

प्लेग से लड़ते हुए शहीद हुई थीं सावित्री फुले

अरुण कुमार त्रिपाठी कोरोना महामारी के दौरान जातिवादी छुआछूत और सांप्रदायिक बुराइयों के वापस आने का खतरा है। तब्लीगी जमात का मामला तो राजनीतिक संरक्षण में उछल गया लेकिन यह कहने वालों की कमी नहीं है कि पिछली सदी की छुआछूत की प्रथा इसी प्रकार की बीमारियों का संक्रमण रोकने के लिए थी। ऐसे माहौल में महात्मा ज्योतिबा फुले की पत्नी और स्त्री चेतना की प्रणेता सावित्री बाई फुले ने जिस तरह प्लेग और जातिवाद से लड़ते हुए अपना बलिदान दे दिया वह आज भी प्रेरणा देता है। 1897 वहRead More


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