Tuesday, April 28th, 2020

 

प्लेग से लड़ते हुए शहीद हुई थीं सावित्री फुले

अरुण कुमार त्रिपाठी कोरोना महामारी के दौरान जातिवादी छुआछूत और सांप्रदायिक बुराइयों के वापस आने का खतरा है। तब्लीगी जमात का मामला तो राजनीतिक संरक्षण में उछल गया लेकिन यह कहने वालों की कमी नहीं है कि पिछली सदी की छुआछूत की प्रथा इसी प्रकार की बीमारियों का संक्रमण रोकने के लिए थी। ऐसे माहौल में महात्मा ज्योतिबा फुले की पत्नी और स्त्री चेतना की प्रणेता सावित्री बाई फुले ने जिस तरह प्लेग और जातिवाद से लड़ते हुए अपना बलिदान दे दिया वह आज भी प्रेरणा देता है। 1897 वहRead More


बिहार के राजनीतिक इतिहास के एक अनोखे नायक की कहानी जिसने तोडा बिहार में पर्दा प्रथा

निराला विदेशिया आज 28 अप्रैल है। ऐतिहासिक दिन। पूरे देश के लिए। बिहार के लिए तो और विशेष। 1928 का साल था। आज ही की रात थी,जब बिहार का एक नौजवान अपनी नवविवाहिता पत्नी को, उसके 14 माह के बच्चे के साथ,पत्नी के मायके से लेकर निकल गया था। गया जिले के एक सुदूर गांव मंझवे से। वह नौजवान कोई और नही, रामनन्दन थे। बिहार के राजनीतिक इतिहास के एक अनोखे नायक। शाश्वत विद्रोही नायक। हुआ यह था कि गांधी जी दरभंगा आये। दरभंगा आये तो उन्होंने देखा कि महिलाएंRead More


मजदूरों के लिए एक वक्त उपवास रखने वाली मुखिया

बिहार कथा, संवादाता, गोपालगंज। सम्पूर्ण विश्व जब कोरोना महामारी से मुकाबला कर रहा है, समाज का हर व्यक्ति एक दूसरे की क्षमतानुसार मदद कर रहा है|इस दौर में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ गई है | जैसा कि पिछले दिनों “पंचायती राज दिवस” के अवसर पर भारत के विभिन्न राज्यों के कुछ पंचायत प्रतिनिधियों से संवाद के क्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बताया |पंचायत व्यवस्था की सबसे छोटी इकाई है… जहाँ लोगों का जीवन करीब से जुडा़ है, मुसीबत में सबसे पहले लोग अपने मुखिया के पासRead More


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