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बीस साल बाद तालिबान और सौ साल बाद गांधी

बीस साल बाद तालिबान और सौ साल बाद गांधी अरुण कुमार त्रिपाठी इतिहास सीधे चलते चलते गोल गोल घूमने लगता है। बड़ी दिखने वाली ताकतें हारने लगती हैं और पराजित दिखने वाले समूह जीतने लगते हैं। जिन मूल्यों की स्थापना के लिए दुनिया कसमें खाती है वे मूल्य ध्वस्त होने लगते हैं और जिन्हें मिटाने के लिए संकल्प लिया जाता है वे विजयी होने लगते हैं। कुछ ऐसा ही अफगानिस्तान में बीस साल बाद तालिबान की वापसी के साथ भी हो रहा है। अमेरिका ने 9/11 के हमले के बादRead More


आज़ादी के दिन यहां थे गांधी

आज़ादी के दिन यहां थे गांधी पुुष्यमित्र इस पोस्ट के साथ जो एक तस्वीर लगी है, वह कलकत्ता शहर के बेलियाघाट मुहल्ले की एक पुरानी कोठी है, जिसका नाम हैदरी मेन्शन या हैदरी मंजिल है, जहां आज़ादी वाले दिन गांधी ठहरे थे। बेलियाघाट उस जमाने में कोलकाता का बहुत गंदा और बदनाम मोहल्ला माना जाता था। यह मोहल्ला हिन्दू और मुसलमान दोनों समुदायों का सीमावर्ती इलाका था। उन दिनों दोनों समुदाय के बीच भीषण दंगा फैला था, इस लिहाज से वहां रहना खतरनाक था। मगर गांधी ने तय किया थाRead More


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