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छोटी-छोटी उपलब्धियों को सहेज कर बड़े बने लालू

छोटी-छोटी उपलब्धियों को सहेज कर बड़े बने लालू गोपालगंज से रायसीना-1 ———- वीरेंद्र यादव ————— पिछले दिनों दो साथियों ने दो पुस्‍तकें दी थीं पढ़ने के लिए। अरुण नारायण ने लालू यादव की आत्‍मकथा ‘गोपालगंज से रायसीना’ दी थी, जबकि नवल किशोर ने ‘बिहार की चुनावी राजनीति’ भेजी थी। पहली पुस्‍तक में लालू यादव की राजनीतिक यात्रा उनके ही शब्‍दों में लिखी गयी है तो दूसरी पुस्‍तक में बिहार की राजनीति के ‘लालू युग’ का आंकड़ों में अध्‍ययन किया गया है। इस पुस्‍तक में 1990 से 2017 तक के राजनीतिकRead More


किस दिशा में जा रहा है लालू यादव का राजद

वीरेंद्र यादव बिहार विधान सभा में सबसे बड़ा राजनीतिक दल राजद की भूमिका पर सवाल उठाये जाने लगे हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव विधान सभा की कार्रवाई में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। खबर यह भी आ रही है कि वे भाजपा के साथ संपर्क में बने हुए हैं। नीतीश के साथ पार्टी की निकटता बढ़ने की बात भी आ रही है। इन खबरों में कितना दम है या खबरें कितनी विश्वसनीय हैं, इस संबंध में कुछ भी दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इतना तय हैRead More


लालू यादव ने वंचित जनता को स्वर्ग नहीं, लेकिन स्वर ज़रूर दिया

  लालू यादव के सत्ता में आने से वंचित जातियों में ये एहसास आया कि उनके बीच का या उनके प्रति हमदर्दी रखने वाला कोई ऊपर बैठा है.   दिलीप मंडल  बिहार लालू यादव से पहले भी देश का सबसे बीमार, गरीब और अशिक्षित राज्य था. लालू प्रसाद का शासन खत्म होने के लगभग 14 साल बाद भी बिहार सबसे बीमार, गरीब और अशिक्षित राज्य है. इसलिए यह सवाल गैरवाजिब है कि लालू प्रसाद ने बिहार को यूरोप क्यों नहीं बना दिया. जब हम यह सवाल श्रीकृष्ण सिन्हा, माहामाया प्रसादRead More


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