Arun Kumar

 
 

मुहर्रम में भांजते थे बाबा धाम की लाठी

अरुण कुमार आज मुहर्रम है! नहीं पता कि मुहर्रम की शुभकामनाएं दी जाती है या कुछ और? जब तक गांव में था तब तक पता ही नहीं चला कि मुहर्रम हिन्दुओं का त्योहार है या मुसलमानों का। मेरे गांव अहियापुर में हकीम मियां ताजिया बनाते थे जिसे हमलोग ‘दाहा’ कहते थे। मेरे गांव में सभी जातियों के अलग-अलग टोले हैं लेकिन हकीम मियां का परिवार हमारी जाति के ही टोले में बस गया था। ऐसा कैसे हो गया किसी को नहीं पता। ‘दाहा’ बनाने का काम हकीम मियां दस-पन्द्रह दिनRead More


…तो इस तरह से होगा जाति का विनाश!

अरुण कुमार जाति के विनाश का आन्दोलन उसी समय से चल रहा है जब से जाति बनी। इसके बावजूद आज भी जाति का अस्तित्व उतनी ही मजबूती से बना हुआ है। जाति के विनाश के आन्दोलन भी कई तरीके से चले। आज भी लगभग सभी लोगों का मानना है कि जाति का विनाश होना चाहिए। कुछ लोग कहते हैं कि जाति पर बात नहीं करने से जाति खत्म हो जाएगी। कुछ लोगों ने अंतरजातीय विवाहों में जाति के विनाश के बीज देखे तो कुछ लोगों ने माना कि हिन्दू धर्मRead More


बिहार के स्टुडेंटों के लिए जानिए कैसा होता है दिल्ली विश्वविद्यालय में मिशन एडमिशन!

अरुण कुमार बिहार से बड़ी संख्या में विद्यार्थी दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए आ रहे हैं। जिस दिन से एडमिशन प्रक्रिया शुरू हुई है उसी दिन से मित्रों, रिश्तेदारों और जान-पहचान के लोगों के फोन आ रहे हैं। ये लोग चाहते हैं कि इनके बच्चे के एडमिशन के लिए कुछ पैरवी हो जाए। बच्चों के मार्क्स चाहे जितने हों लेकिन सबको डीयू के सबसे नामी कॉलेजों में एडमिशन चाहिए। एक मित्र के बच्चे का एक मनपसंद कॉलेज में एडमिशन नहीं हो पा रहा है क्योंकि जरूरी मार्क्स से उसेRead More


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