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आर्थिक मजबूती से बढ़ेगा हिन्दी का साम्राज्य

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल‘ भाषा और भारत के प्रतिनिधित्व के सिद्धांत में हिन्दी के योगदान को सदा से सम्मिलित किया जा रहा है और आगे भी किया जाएगा, किन्तु वर्तमान समय उस योगदान को बाजार अथवा पेट से जोड़ने का है। सनातन सत्य है कि विस्तार और विकास की पहली सीढ़ी व्यक्ति की क्षुधा पूर्ति से जुडी होती है, अनादि काल से चलते आ रहे इस क्रम में सफलता का प्रथम पायदान आर्थिक मजबूती से तय होता हैं। वर्तमान समय उपभोक्तावादी दृष्टि और बाजारमूलकता का है, ऐसे काल खंड में भूखे पेट भजन नहीं होय गोपालाRead More
अन्नदाता के दर्द की दवा क्या है ?

सलिल सरोज “भारत जैसे देश में, जो दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी आबादी का दावा करता है, वहाँ खिलाने के लिए अनगिनत मुंह हैं। इसलिए आदर्श रूप में, देश के भोजन प्रदाता सबसे अमीर होने चाहिए! विडंबना यह है कि वे सबसे गरीब और सबसे ज्यादा शोषित हैं। यह आजादी के बाद से एक बहुत बड़ा बहस का मुद्दा रहा है। भारत हमेशा से किसानों का देश रहा है। कृषि शुरुआती सभ्यताओं के बाद से हमारे आय का प्रमुख रूपरेखा तय करती रही है। 2013 के बाद से, हर सालRead More
‘माई बिसरी, बाबू बिसरी, पंचकोसवा के लिट्टी-चोखा ना बिसरी’

पुष्यमित्र बिहार के बक्सर के चरित्रवन की इस तस्वीर को देखिये। मैदान से उठता धुआं और लोगों की भीड़ को देख कर आप शायद समझ न पायें कि दरअसल वहां हो क्या रहा है। तो जान लीजिये, यह लिट्टी चोखे का मेला है, जो हर साल आज के ही दिन यहां लगता है। वैसे तो यह तस्वीर दो साल पुरानी है और एक लोकल वेबसाइट से ली गयी है, मगर आज भी अगर आप वहां जायेंगे तो इस मैदान में, आसपास के सड़कों के किनारे और दूसरे जगहों में भीRead More
सुशील मोदी की विदाई के बाद कौन ?

वीरेंद्र यादव की पोलिटिकल डायरी सुशील मोदी। 24 वर्षों से बिहार भाजपा के निर्विवाद नेता। लालू यादव विरोध की आड़ में भाजपा में सवर्ण राजनीति को मिट्टी में मिलाने का श्रेय उन्हें ही जाता है। सुशील मोदी ने लालू विरोध का ऐसा ‘अफीम’ सवर्णों को पिलाया कि भाजपा में सवर्ण हाशिये पर धकेल दिये गये और वे जयकारा लगाते रहे। ठीक वैसे ही, जैसे इस बार के चुनाव में चिराग पासवान ने भाजपा समर्थन का ‘भांग’ सवर्णों को खिलाकर नीतीश कुमार की मिट्टी पलीद कर दी। पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदीRead More
बिहार में बदलनी होगी सत्ता की आर्थिक संस्कृति

वीरेंद्र यादव की पोलिटिकल डायरी राजनीति का सीध संबंध सत्ता से है और सत्ता का सीधा संबंध संपत्ति से है। संपत्ति के साथ जुड़ा शब्द है धन-संपत्ति। धन से जुड़े कई मुहावरे हैं। हम मुहावरों की बात नहीं कर रहे हैं। हम धन की बात कर रहे हैं। बोलचाल की भाषा में ‘माल’ भी कहते हैं। बिहार में बहुत सारे विधायक करोड़पति हैं। विधायक के साथ सत्ता खुद-ब-खुद जुड़ जाती है। बिहार में सत्ता की राजनीति कमाई का नहीं, लूटने का माध्यम है। हर विधायक मंत्री बनना चाहता है, कमानेRead More
बिहार की राजनीति को समझना आसान नहीं

निशिकांत ठाकुर बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एन डी ए का फिर से सरकार बना लेना, वहां के मतदाताओं का एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक निर्णय है । इस नए सरकार के गठन के लिए सारा श्रेय एन डी ए और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है । वह इसलिए कि चौथी बार किसी भी कीमत पर नीतीश कुमार के लिए संभव नहीं था कि वह फिर से चुनाव जीतकर सरकार बना ले । जनता उनसे खीझ चुकी थी और नीतीश जी स्वयं जनता से चिढ़ चुके थेRead More
कंफ्युजन में क्यों हैं गोपालगंज में यादव समाज के कुछ लोग ?

कंफ्युजन में क्यों हैं गोपालगंज के कुछ यादव समाज के लोग साधु यादव के चक्कर में आकर तेजस्वी यादव को करेंगे कमजोर मायावती अखिलेश यादव को यूपी में दे चुकी हैं गच्चा, उसी के हाथी पर सवार है साधु साधु के सांसद रहते दबंगई करने वाले अभी हाशिये पर हैं, वे साधु के सहारे फिर से जिले में वर्चस्व दिखाने के फिराक में हैं. विशेष संवाददाता. गोपालगंज. गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक लडाई पूरी तरह से दिलचस्प होकर एक रोचक मोड पर खडी हो गई है. आमने सामने के उम्मीदवार भाजपाRead More