बिहार कथा

 

पुरुष के मन की वासना को मार देता है भारतीय नारी का सौंदर्य

संजय तिवारी मणिभद्र एक समय तक भाभाजी घर पर हैं की नायिका रही शिल्पा शिंदे का कैरेक्टर अंगूरी भाभी के रूप में आती रहीं। उनके चरित्र की कल्पना कुछ ऐसी की गयी थी कि वो गांव से आयी एक सीधी सादी स्त्री हैं जो देशज भाषा में बात करती हैं और सहज साज श्रृंगार करती हैं। वो एक भोली भाली महिला है जिन्हें उनका पति पगली या बौड़म तक कहता रहता है। लेकिन इस सीरियल का सफलता का सबसे बड़ा कारण बौड़म अंगूरी भाभी का कैरेक्टर ही थी। उनका सहीRead More


रोकड़ नहीं.. यूपीआई सही..

रोकड़ नहीं.. यूपीआई सही.. रोशन जोशी हर बरस धीरे धीरे एटीएम से रुपए निकालने की लिमिट कम होती जा रही है। ये लिमिट धीरे धीरे कुछ बरसों में मासिक 5000/- तक पहुंचाई जाएगी। किसी को आपत्ति हुई तो यही पूछा जाएगा कि अगर सब्जी भाजी वाला, चायवाला तक आपसे 10/-पेमेंट यूपीआई द्वारा लिया जा सकता है, तो आपको कैश की क्या जरूरत है? एटीएम से कैश नहीं मिलने पर कैश निकालने के लिए बैंक जाने वालों से बैंक में लेटर लिखवाए जा सकते हैं। लिख कर दो कि आपको 20,000/-Read More


सत्यजीत राय की फिल्मों में स्त्रियां

सत्यजीत राय की फिल्मों में स्त्रियां सुलोचना वर्मा (फेसबुक से साभार) आज महान फिल्मकार सत्यजीत राय की जयंती है। सत्यजीत राय बांग्ला फ़िल्म निर्देशक थे; पर उससे पहले वे एक लेखक थे| अपने दो नयनों से उन्होंने जो कुछ देखा, उसे कागज़ पर उतारा| उनके भीतर फ़िल्मकार को दुनिया ने उनके लेखकीय चरित्र से अधिक सराहा| फ़िल्म बनाने से पहले उन्होंने विश्व की अनेक भाषाओं की फ़िल्मों को न सिर्फ़ देखा बल्कि उनका गहरा अध्ययन किया| रे के फ़िल्मों की भाषा भले ही बांग्ला हो, पर उनके फ़िल्मों की पटभूमिRead More


मधु जी को जैसा देखा जाना

मधु जी को जैसा देखा जाना जयशंकर गुप्त ( मधुलिमये जनमशती वर्ष समापन दिवस पर ) जिनके साथ आप कभी बहुत गहरे जुड़े रहे हों, जिनके बारे में बहुत अधिक जानते हों, उनके बारे में कुछ लिखना कितना मुश्किल होता है, यह आज मुझे मधु जी यानी देश के महान समाजवादी नेता, चिंतक और विचारक, राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन के महान स्वतंत्रता सेनानी, गोवा मुक्ति संग्राम के महानायक, नागरिक अधिकारों और समाज के दबे-कुचले, दलित, शोषित, पीड़ित, वंचित, पिछड़े और हाशिए पर रहने वाले लोगों के हक़ के लिए लड़ने औरRead More


भाजपा में क्यों नहीं है इकोसिस्टम!

भाजपा में क्यों नहीं है इकोसिस्टम! संजय तिवारी मोदी कांग्रेस इकोसिस्टम की बात खूब करते हैं तो फिर बीजेपी का कोई इकोसिस्टम क्यों नहीं बनता? बनता भी है तो वह कांग्रेस के इकोसिस्टम जितना ताकतवर क्यों नहीं हो पाता? एक लाइन में जवाब सुनना हो तो यह है कि मोदी ने बनने नहीं दिया। बीचे आठ सालों में मोदी ने अपना इकोसिस्टम तो बनाया लेकिन बीजेपी का कोई इकोसिस्टम बनने नहीं दिया। विस्तार से जानना हो तो ऐसे समझिए कि सरकारी संसाधन का कुछ हिस्सा जब समर्थकों तक पहुंचता हैRead More


डॉन आनंदमोहन की रिहाई, बिहार में दलित राजनीति और घड़ियाली आंसुओं की बाढ़

डॉन आनंदमोहन की रिहाई, बिहार में दलित राजनीति और घड़ियाली आंसुओं की बाढ़ संजीव चंदन कभी राजपूत ऑयकन की तरह प्रजेक्ट किये गये बंदूक धारी, डॉन आनंद मोहन ने आंध्रप्रदेश से आने वाले बिहार कैडर के दलित आईएएस जी कृष्णय्या की हत्या के अपराध की सजा 14 सालों तक जेल में रहकर काटी। आनंद मोहन ने एक रिकॉर्ड कायम किया। पटना हाईकोर्ट से मौत की सजा कन्फर्म पाकर वह देश का पहला राजनेता बना, जिसे मौत की सजा सुनाई गयी हो। बाद में मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट नेRead More


जन सुराज अगर दल बनता है तो जिसकी जितनी संख्या है उसको उतना मालिकाना हक मिलेगा : प्रशांत किशोर

जन सुराज ने आयोजित किया जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म शताब्दी समारोह वैशाली में बोले पीके – जन सुराज अगर दल बनता है तो जिसकी जितनी संख्या है उसको उतना मालिकाना हक मिलेगा संवाददाता, हाजीपुर. जन सुराज पदयात्रा के 196वें दिन की शुरुआत वैशाली के वैशाली प्रखंड अंतर्गत चिंतामनीपुर पंचायत स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद जन सुराज पदयात्रा कैंप में जननायक कर्पूरी ठाकुर जी जी जन्म शताब्दी पर एक आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कर्पूरी ठाकुर जी के पोते अभिनव कुमार भी शामिल हुए।Read More


क्राइम कन्ट्रोल का बिहार मॉडल !

क्राइम कन्ट्रोल का बिहार मॉडल ! पुष्यमित्र आनंद मोहन, पप्पू यादव, शाहबुद्दीन, मुन्ना शुक्ला, अनंत सिंह, वगैरह वगैरह। ये कुछ नाम हैं, जो महज डेढ़ दो दशक पहले तक बिहार में आतंक के पर्याय थे। आज इनमें से कुछ जेल की सजा काट रहे, कुछ जेल में दिवंगत हो गए, कुछ सुधर गए और बाहर सज्जन की तरह जी रहे हैं। जब इनकी तूती बोलती थी तो किसी ने सोचा नहीं था कि इन्हें कोई नियंत्रित कर पाएगा। मगर अब इनमें से किसी का खौफ लोगों पर नहीं है। सचRead More


ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले का सामाजिक आंदोलन और उसका प्रभाव

(11 अप्रैल 1827 को जन्में थे सामाजिक आंदोलन के मसीहा, ज्योतिबा फुले या जोति राव फुले । शीरोज बतकही के शुरुआती दौर में 2018 में हमने फुले के संघर्ष और योगदान पर एक परिचर्चा आयोजित की थी। उसकी रिपोर्टिंग पढ़ने वाली है-शीरोज़ बतकही, लखनऊ विषय – ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले का सामाजिक आंदोलन और उसका प्रभाव) ************* सुभाष चंद कुशवाहा के फेसबुक से साभार शीरोज बतकही की 26 वीं बैठक दिनांक 23 दिसम्बर 2018 को निर्धारित समय एवं स्थान पर सम्पन्न हुई। इस परिचर्चा को ज्योतिबाफुले और सावित्री बाईRead More


‘बिहार के गांवों में बिजली तो पहुंच गई है, लेकिन लोग बिजली के गलत और बढ़े हुए बिल से परेशान ‘

बिहार के गांवों में बिजली तो पहुंच गई है, लेकिन लोग बिजली के गलत और बढ़े हुए बिल से परेशान है: प्रशांत किशोर संवाददाता, बिहार कथा, हाजीपुर। जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण के हाजीपुर में मीडिया से संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि जब से पदयात्रा कर रहा हूं मैंने पाया है कि हर गांव में बिजली पहुंच गई है। ये बात अलग है कि बिजली के बिल आय दिन बढ़ के आ रहे हैं। मैंने 6 जिलों में पदयात्रा करने के कर्म में अलग-अलग लोगों सेRead More


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