बिहार में आडवाणी का रथ रोकने वाले पूर्व नौकरशाह अब मौदी के कैबिनेट में
बिहार के आरा से लोकसभा सदस्य राज कुमार सिंह देश के गृह सचिव भी रह चुके हैं
नई दिल्ली/पटना। पूर्व आईएएस अधिकारी आरके सिंह आज केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किए गए नए सदस्यों में से एक हैं। गंभीर एवं सधे हुए नौकरशाह के तौर पर पहचाने जाने वाले सिंह आईएएस अधिकारी के तौर पर अपने चार दशक के शानदार करियर के बाद वर्ष 2013 में राजनीति में आए। 64 वर्षीय सिंह 1990 में तब सुर्खियों में आए थे जब भाजपा के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा निकाली थी और बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने सिंह को समस्तीपुर में आडवाणी को गिरफ्तार करने का जिम्मा सौंपा था।
वर्ष 2013 में सेवानिवृत्त होने के बाद 1975 बैच के बिहार कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी सिंह ने भाजपा में शामिल हो कर अपना राजनीतिक करियर आरंभ किया। 20 दिसंबर 1952 को पैदा हुए सिंह ने प्रशासनिक करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। उन्होंने पुलिस आधुनिकीकरण और जेल आधुनिकीकरण की योजनाओं में भी खासा योगदान किया। इसके अलावा वह आपदा प्रबंधन का ढांचा तैयार करने में भी शामिल रहे। संप्रग सरकार के कार्यकाल में वह सचिव (रक्षा उत्पादन) रहे। जब आडवाणी गृह मंत्री थे तब सिंह गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव थे। इसके अलावा बिहार सरकार के विभागों में भी उनकी सेवाएं रहीं।
जब सिंह केंद्रीय गृह सचिव थे तब मुंबई हमले के आतंकवादी अजमल कसाब को और संसद हमला मामले के दोषी अफजल गुरू को फांसी दी गई थी। गृह सचिव के पद पर रहते हुए सिंह ने मालेगांव बम विस्फोट और समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट जैसे मामले भी देखे और कुछ संदिग्धों के नाम जारी कर विवादों में भी घिरे। वर्ष 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की टिकट वितरण प्रक्रिया की सिंह ने आलोचना की थी। इस चुनाव में भाजपा हार गई थी। पढ़ने-लिखने के शौकीन सिंह ने सेन्ट स्टीफंस कॉलेज, नयी दिल्ली, आरवीबी डेल्फ विश्वविद्यालय (नीदरलैण्ड) से शिक्षा ग्रहण की। वह 2014 में भाजपा के टिकट पर आरा संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए और 16वीं लोकसभा के सदस्य बने। इसके बाद वह विशेषाधिकार समिति, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, कार्मिक, पेंशन और लोक शिकायत, कानून आदि की स्थायी संसदीय समितियों के सदस्य रहे। एक बार विवादों के घेरे में तब आए थे जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि भाजपा पैसे लेकर टिकट देती है.
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