…अगर पतंग उड़ाकर छोड़ दी जाये तो उनका दुर्भाग्य आसमान में गुम हो जायेगा!

धरती से आकाश को जोड़ती है पतंगे
प्राचीन काल में जापान के लोगो में विश्वास था कि पतंगो की डोर वह जरिया है जो पृथ्वी को स्वर्ग से मिलाती है। चीन के लोगो में विश्वास है कि अगर पतंग उड़ाकर छोड़ दी जाये तो उनका दुर्भाग्य आसमान में गुम हो जायेगा और यदि कोई कटी हुयी पतंग उनके घर में प्रवेश करती है तो यह उनके लिए शुभ होगा। भारत के अलावा चीन, इंडोनेशिया, थाइलैंड, अफगानिस्तान, मलेशिया और जापान जैसे अन्य एशियाई देशों के अलावा कनाडा, अमेरिका, फ्रांस, स्विटजरलैंड, हालैंड और इंगलैंड आदि देशो में भी पतंग उड़ाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है।
पटना biharkatha.com . मकर संक्राति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। संक्राति के दिन लोग चूड़ा-दही खाने के बाद मकानों की छतों , खुले मैदानों की ओर दौड़े चले जाते है और पतंग उड़ाकर आनंदित होते हैं। भारत के अलावा चीन, इंडोनेशिया, थाइलैंड, अफगानिस्तान, मलेशिया और जापान जैसे अन्य एशियाई देशों के अलावा कनाडा, अमेरिका, फ्रांस, स्विटजरलैंड, हालैंड और इंगलैंड आदि देशो में भी पतंग उड़ाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। प्राय: यह माना जाता है कि पतंग का आविष्कार ईसा पूर्व चीन में हुआ था । जापान में पतंगे उड़ाना और पतंगोत्सव एक सांस्कृतिक परंपरा है । यहां पतंग तांग शासन के दौरान बौद्ध भिक्षुओं के माध्यम से पहुंची। भारत में पतंग परंपरा की शुरआत शाह आलम के समय 18 वीं सदी में मानी गयी है लेकिन भारतीय साहित्य में पतंगो की चर्चा 13वीं सदी से ही की गयी है। मराठी संत नामदेव ने अपनी रचनाओं में पतंग का जिक्र किया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पतंगे कागजी परिंदे हैं जो दिल की धड़कनों को डोर के सहारे आसमान में लहराते है।
प्राचीन काल में जापान के लोगो में विश्वास था कि पतंगो की डोर वह जरिया है जो पृथ्वी को स्वर्ग से मिलाती है। चीन के लोगो में विश्वास है कि अगर पतंग उड़ाकर छोड़ दी जाये तो उनका दुर्भाग्य आसमान में गुम हो जायेगा और यदि कोई कटी हुयी पतंग उनके घर में प्रवेश करती है तो यह उनके लिए शुभ होगा। जापान का थिरोन ओजोको म्यूजियम विश्व का सबसे बड़ा पतंग संग्रहालय है। यहां पतंगों की अनेक विलक्षण आकृतियां हैं। कहीं अबाबेल पक्षियों की हू-ब-हू आकृति है तो कहीं पवन चक्की का भ्रम पैदा करने वाले नमूने। ज्यादातर स्थानीय पतंगो पर आकर्षक रंग के मुखौटे बने होते हैं। संग्रहालय की एक रोचक बात यह है कि यहां आप पतंगे बनाना सीख सकते हैं। यदि कोई दिक्कत हो तो यहां मौजूद प्रशिक्षकों की मदद ली जा सकती है। जापान के थिरोन में हर वर्ष जून में पतंगोत्सव का आयोजन किया जाता है। नाकानोगूजी नदी के दोनों किनारों पर इस खेल का आयोजन किया जाता है।






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