दल बदल के माहिर खिलाड़ी हैं हथुआ से हम के उम्मीदवार महाचंद्र प्रसाद सिंह
जानिए हथुआ से हम के उम्मीदवार डा. महाचंद्र प्रसाद सिंह के बारे में
बिहार कथा, हथुआ-गोपालगंज
इस विधानसभ चुनाव में हथुआ में नजरा दिलचस्प होगा। हम के उम्मीदवार डा. महाचंद प्रसाद सिंह भूमिहार जाति से हैं। अध्यापक पेशे से जुड़े हैं। उच्च शिक्षित हैं। एमएससी और डॉक्टरेट हैं। विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। 8 जुलाई, 1948, जमालपुर (अथमलगला), जिला- पटना जन्में महाचंद्र प्रसाद छात्र-जीवन से ही राजनीति एवं सामाजिक कार्य में सक्रिय रहे। व्याख्याता के रूप में अपनी सेवा आर. के. कॉलेज, मधुबनी से शुरू की। इसके बाद लंगट सिंह महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर में व्याख्याता के रूप में कार्य किया। इसी दौरान विश्वविद्यालय सेवा आयोग की अनुशंसा पर स्थाई रूप से एम पी.एस. साइंस कॉलेज, मुजफ्फरपुर में सेवारत रहे। महाविद्यालय के शासी निकाय में भी शिक्षक प्रतिनिधि निर्वाचित हुए। पहले कांग्रेस, फिर जदयू में पाला बदलने वाले सारण स्नातक क्षेत्र से विधान परिषद में गए थे। नीतीश के खिलाफती नेताओं में शुमार और जीतनराम मांझी के खास डा. महाचंद का दावा है कि वे बिहार प्रदेश स्वामी सहजानन्द किसान संगठन के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए स्वामीजी की भावनाओं के अनुरूप किसानों की समस्याएं सुलझाने की दिशा में प्रयत्नशील रहे हैं। राजनीतिक महत्वाकांक्षा के धनी डा. महाचंद्र प्रसाद 2011 में बिहार विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए। डा. प्रसाद मीरगंज के टायर हाउस से संबंध रखते हैं।
जब भाजपा ने अपनी पहली सूची जारी की थी तब जीतनराम माझी के साथ महाचंद्र प्रसाद ने तीखे तेवर दिखाए थे, क्योंकि भाजपा अपनी मनपसंद वाली सीट छोड़ने को तैयार नहीं थी। बताया जाता है कि हथुआ विधानसभा सीट से भाजपा की ओर से दावेदारों की भरमार थी। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा भी इसके लिए दावा कर रही थी। यहां से पार्टी के शीर्ष नेताओं ने करीब तीन नेताओं को भाजपा का टिकट दिलाने का आश्वासन दिया था। यहीं नहीं जब चुनावी सरगर्मी तेज हुई तो इन नेताओं को अपनी तैयारी करने के लिए भी कहा गया। लेकिन हम ज्यादा होशियार निकली। हथुआ की विधानसभा क्षेत्र की यह सीट जहां कभी भाजपा कभी अपना पताखा नहीं लहरा पाई हम की झोली में चली गई। हार जीत तो बाद की बात है, लेकिन प्राथमिक संभावित परिणाम तो यह होने की आशंका है कि हथुआ से भाजपा की टिकट की लामबंदी में खड़े अधिकतर भूमिहार नेता इनके समर्थन में आ सकते हैं। भूमिहार नेताओं की लामबंदी हो सकती है। टिकट की टकटकी में झटका पाए राजेश कुमार सिंह खानदानी राजनीति का अलख जगाते हुए निश्चय ही चुनावी मैदान में होंगे। जिस दिन डा. महाचंद प्रसाद का टिकट फाइन हुआ, उसी शाम राजेश कुमार सिंह ने कार्यकर्ताओं को एक बैठक बुलाकर बगावत का बिगुल फूंकने का संदेश भिजवा दिया। वे मैदान में होंगे तो भी हथुआ में मुकाबला त्रिकोणिय हो सकता है, क्योंकिे उन्हें इस बात की उम्मीद है कि निवर्तमान विधानय के प्रति एंटीइकंबेंसी है, तो दूसरी ओर हम के उम्मीदवार डा. महाचंद्र प्रसाद भूमिहार है, लिहाजा, दलित और पिछड़ा वर्ग के वोटों के धुव्रीकरण की गुंजाइश बनती है। लेकिन इस बार तो मतदाताओं के मूड को भांपने को लेकर केवल कयास ही लगाए जा सकते हैं। सब कुछ चुनाव प्रचार और मतदाताओं को लुभाने की रणनीति पर ही निर्भर करेगा। फिलहाल गोपालगंज भाजपा के दिग्गज दिल्ली कूच कर गए हैं…लेकिन वहां से उनकी आस पूरी होगी, इसकी गारंटी नहीं है।
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