आखिर बनारस में क्यों नहीं होते बलात्कार!
आवेश तिवारी के फेसबुक टाइमलाइन से साभार
बनारस देश का एकमात्र शहर है जहां परिवार की मुखिया स्त्री होती है, पुरुष या तो सोते है या काम करते है बाकी समय मे गप्पबाजी और भांग छानते है। गंगा किनारे हजारों महिलाएं आपको अर्द्ध नग्न ,नग्न नहाते मिल जाएंगी पर कम से कम कोई बनारसी उनकी तरफ़ आंख उठाकर नही देखेगा। सड़कों पर छींटाकशी नही रंगबाजी जरूर देखने को मिल जाएगी लड़का तेज रफ्तार गाड़ी चलाते लड़की को देख कह सकता है “तोफान मेल मत बनावा” हो सकता है लड़की जवाब में कह दे ‘औकात में रहा, उड़ा मत’।
बहुत कम पुरुष ऐसे होते हैं जो घर मे अपनी पत्नियों से गाली नही खाते।मंदिरों में पहला हक स्त्रियों का है , पान की दुकान पर स्त्रियां पान लेने गई तो पुरुष ससम्मान कोना पकड़ लेते हैं। जिन गालियो का इस्तेमाल पुरुष यदा कदा करते नहीं स्त्रियां उन गालियों का इस्तेमाल पुरुषों पर करने में संकोच नही करती। लफंगों को पहचानने की दिव्य दृष्टि हर बनारसी महिला के पास होती है अगर महिला ने किसी लफंगे को ललकार दिया तो सभी बहती गंगा में हाथ धोने( सामूहिक पिटाई) लगते है। हर महिला चाची, लड़कियां बच्ची या बहिन हैं। बलात्कार के मामले बनारस में नही आते, छेड़खानी के मामले व्यक्तिगत तौर पर निपट लिए जाते है। बनारस, अहिल्या बाई, रानी लक्ष्मी बाई का शहर है। स्त्रियों का सम्मान कैसे किया जाता है , वह देश को बनारस जाकर सीखना चाहिए।
https://www.facebook.com/
Related News

महाकुंभ में साकार है भारत
महाकुंभ में साकार है भारत। दिलीप मंडल महाकुंभ इतना विशाल है कि इसके अंदर कईRead More
बीजेपी क्या है ? क्या है बीजेपी ?
बीजेपी क्या है ? क्या है बीजेपी ? दिलीप मंडल – बीजेपी ओबीसी को समुचितRead More
Comments are Closed