भाजपा के आंतरिक सर्वे में बिहार के 22 सांसदों में से 12 पर गिर सकती है गाज

महाभारत 2019: भाजपा के 152 सांसदों के खिलाफ लोगों में नाराजगी, पार्टी के आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट

नाराजगी वाली सीटों पर स्थिति सुधारने के उपाय समेत वैकल्पिक उम्मीदवारों के नाम भी मंगाए गए
75 साल उम्र पार कर चुके लोगों को अब उम्मीदवार नहीं बनाने पर भी प्रमुखता से विचार किया जा रहा है

संतोष कुमार| दैनिक भास्कर से साभार
नई दिल्ली. भाजपा के आंतरिक सर्वे में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। 2014 में पार्टी ने जिन 282 सीटों पर जीत दर्ज की थी, उनमें से 152 संसदीय क्षेत्रों में रिपोर्ट सांसद के खिलाफ आई है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने जीती गई सभी सीटाें पर आंतरिक सर्वेक्षण कराया। भाजपा के एक रणनीतिकार के मुताबिक यह सर्वे पिछले साल गुजरात चुनाव से ठीक पहले आ गया था, लेकिन इस रिपोर्ट की संवेदनशीलता की वजह से इस पर पार्टी ने आगे कोई कदम नहीं बढ़ाया। भास्कर ने यह रिपोर्ट देखी है।

नाराजगी वाली सीटों पर स्थिति सुधारने की कोशिश
– आंतरिक सर्वे के बाद एहतियातन पार्टी ने सर्वे के दूसरे चरण पर काम शुरू कर दिया है। इस चरण में नाराजगी वाली सीटों पर स्थिति सुधारने के उपाय समेत वैकल्पिक उम्मीदवारों के नाम भी मंगाए गए हैं।
– इस रणनीति के तहत ही 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए मोदी-शाह की जोड़ी ने न्यू इंडिया-यंग इंडिया का खाका बुन लिया है।
– दिल्ली के नगर निगम चुनाव में सभी मौजूदा पार्षदों की जगह नया चेहरा उतारने का सफल प्रयोग पार्टी कर चुकी है।

75 से अधिक उम्र वालों को टिकट नहीं
– इसी तरह पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में सत्ता विरोधी लहर वाली सीटों पर मौजूदा विधायकों के टिकट काटने में भी पार्टी ने कोई नरमी नहीं बरती है। इसलिए भाजपा आलाकमान और संघ परिवार ने अब तीसरी पीढ़ी का नेतृत्व उभारने की दूरगामी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
– उज्जैन में संघ प्रमुख मोहन भागवत और सरकार्यवाह भैयाजी जोशी के साथ पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मुलाकात में तीसरी पीढ़ी को लेकर चर्चा हुई थी। अब भाजपा ने 2019 के चुनाव के लिए कुछ कड़े मापदंड अपनाने का मन बनाया है, जिसमें 75 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को मोदी सरकार में मंत्री नहीं बनाने के फॉर्मूले की तर्ज पर ही लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाने पर भी प्रमुखता से विचार किया जा रहा है।

4 राज्यों के लिए प्लान: जहां 105 में से सिर्फ 6 सीटें जीते थे
2019 में भाजपा की रणनीति का अहम हिस्सा है- ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और प. बंगाल की 105 लोकसभा सीटें। ये वो क्षेत्र हैं, जहां 2014 में मोदी लहर के बावजूद भाजपा को 6 सीटें ही मिली थीं। अब रणनीति यहां 80 सीटें जीतने की है।

पुरी से मोदी को उतारने की रणनीति!
– इन 4 राज्यों में ओडिशा को छोड़कर भाजपा का संगठनात्मक ढांचा कमजोर है। इसलिए शाह की रणनीति मोदी की लोकप्रियता को भुनाने की है। माना जा रहा है कि 2019 में मोदी को वाराणसी के साथ पुरी लोकसभा सीट से भी उतारने की रणनीति पर भाजपा काम कर रही है।
– दरअसल इस संभावना को दो कारणों से बल मिला है। पहली, 15 अप्रैल 2017 को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लेने जब प्रधानमंत्री भुवनेश्वर पहुंचे थे तो पार्टी की ओडिशा इकाई के नेताओं ने पुरी से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा था।
– दूसरी, इसी साल 26 मई को भाजपा के चार साल के जश्न के लिए, जब मोदी की कटक में रैली हुई तो इसे भी उसी से जोड़कर देखा गया। हालांकि, इस मामले में अमित शाह से जब यह पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी कुछ तय नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री के कहीं जाने से यह नहीं सोचना चाहिए कि वे वहां से चुनाव लड़ेंगे।

क्या है रणनीति?
सूत्रों के मुताबिक ओडिशा, आंध्र, तेलंगाना, बंगाल में सीटें बढ़ाने की रणनीति पर शाह 3 माह से काम कर रहे हैं। भाजपा के मुताबिक ओडिशा में बीजू जनता दल के नवीन पटनायक, बंगाल में टीएमसी की ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश में टीडीपी के चंद्राबाबू नायडू और तेलंगाना में टीआरएस के के. चंद्रशेखर राव के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल है, जिसे भाजपा के पक्ष में भुनाया जा सकता है।

रिपोर्ट में सामने आया किन राज्यों में कितने सांसदों से नाराजगी
राज्य कुल कुल भाजपा सांसद नाराजगी वाली सीटें
उत्तर प्रदेश 71 48
राजस्थान 25 13
मध्यप्रदेश 26 16
महाराष्ट्र 23 17
बिहार 22 12
झारखंड 12 05
हरियाणा 07 07
उत्तराखंड 05 03
पंजाब 02 02
चंडीगढ़ 01 01
अन्य राज्य 87 28






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