बिहार में भारत का तीसरा गेट, गेटवे ऑफ बिहार

Dr Sunil Prasad

इसे अब भारत का तीसरा गेट भी कह सकते हैं ये बना हैं बिहार की राजधानी पटना में ।मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया और नई दिल्ली के इंडिया गेट की तर्ज पर पटना में गंगा के तट पर सभ्यता द्वार का आज आम लोगों के दीदार के लिए खोल दिया गया। पटना की नई पहचान को सभ्यता द्वार इसे आप गेटवे ऑफ बिहार भी कह सकते हैं।नई दिल्ली के इंडिया गेट और मुम्बई के गेटवे ऑफ इंडिया के तर्ज पर हमारे पटना की नई पहचान बन गई है। 32 मीटर ऊंचे और 8 मीटर चौड़े इस गेटवे ऑफ बिहार को बनाने में खर्च कुल साढ़े पांच करोड़ रुपये किए गए हैं। पटना में गंगा नदी के तट पर बना यह विशाल “सभ्यता द्वार” पाटलिपुत्र की समृद्ध सभ्यता का अहसास कराएगा।

गेटवे ऑफ इंडिया से 6 मीटर ऊंचा है पटना का सभ्यता द्वार
बिहार और प्राचीन पाटलिपुत्र के गौरव का अहसास करा रहा है पटना स्थित सभ्यता द्वार। एक ऐसा सभ्यता द्वार जिसने सदियों की गौरवगाथा को समेटा है। इस पर जैन तीर्थंकर भगवान महावीर के संदेश हैं और बौद्ध धर्म के तीर्थंकर भगवान बुद्ध के भी संदेश लिखे हुए है इससे पटना के सभ्यता द्वार से सारी दुनिया को एक अच्छा संदेश जाएगा। पहली बार विशाल एकीकृत भारत को साकार करनेवाले चंद्रगुप्त मौर्य भी हैं तो बौद्ध धर्म को देश-दुनिया में फैलानेवाले महान सम्राट अशोक संदेश भी हैं। अनगिनत शासकों का केंद्र रहे इस ऐतिहासिक शहर पटना में गंगा किनारे खड़ा यह विशाल सभ्यता द्वार लोगों को गौरवगाथा सुनाने-बताने को तैयार है।सो मवार शाम साढ़े पांच बजे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे जनता को समर्पित किया।गांधी मैदान के उत्तर और अशोका इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर परिसर के पीछे बना यह भव्य द्वार 32 मीटर ऊंचा है। यह कई मायनों में खास है। मुंबई के गेट वे ऑफ इंडिया (26 मीटर) से भी 6 मीटर ऊंचा है यह। वहीं पटना के गोलघर (29 मीटर) से भी ऊंचाई अधिक है।

बौद्ध स्तूप की आकृति का गुंबद :
सभ्यता द्वार के सबसे ऊपर बौद्ध स्तूप की आकृति बनाई गई है। सभ्यता द्वार में दो छोटा और एक बड़ा द्वार है। द्वार के चारों ओर आकर्षक रोशनी, गार्डनिंग, लैंड स्केपिंग और गंगा मेरीन ड्राइव इसे भव्य रूप प्रदान करेंगे। लाल और सफेद सैंड स्टोन से निर्मित इस द्वार के सबसे ऊपर चारों दिशाओं में मिश्रित धातु से शेर का प्रतीक चिह्न लगाया गया है।

फ़ाइल फ़ोटो

संदेश बता रहा नगर की भव्यता :-
सभ्यता द्वार पर यूनान के राजदूत और इंडिका पुस्तक के लेखक मेगास्थनीज के संदेश लिखे गए हैं। अपनी पुस्तक में मेगास्थनीज ने पाटलिपुत्र का बहुत ही सुंदर और विस्तृत वर्णन किया है। मेगास्थनीज ने लिखा है कि पाटलिपुत्र भारत का सबसे बड़ा नगर है। यह नगर गंगा और सोन के संगम पर बसा है। इसकी लंबाई साढ़े नौ मील और चौड़ाई पौने दो मील है। नगर के चारों ओर एक दीवार है जिनमें अनेक फाटक और दुर्ग बने हैं। नगर के अधिकतर मकान लकड़ी के बने हैं। इस तरह करीब 2500 वर्ष पूर्व के नगर की भव्यता का वर्णन इंडिका में किया गया है।

सम्राट अशोक की लगी है भव्य मूर्ति :
सभ्यता द्वार ज्ञान भवन और बापू सभागार प्रोजेक्ट का हिस्सा है। प्रोजेक्ट की कुल लागत 590 करोड़ रुपये है। करीब एक एकड़ एरिया में सभ्यता द्वार और आसपास का परिसर फैला है। इसे बनाने में डेढ़ साल का समय लगा है। परिसर में ही सम्राट अशोक की भव्य मूर्ति लगाई गई है। दर्शकों के बैठने की भी व्यवस्था है। जमीन पर एलईडी सीरीज लाइट से आकर्षक रोशनी की व्यवस्था रहेगी। अधिकारियों का मानना है कि सभ्यता द्वार महत्वपूर्ण पर्यटक केन्द्र के रूप में स्थापित होगा।

चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ ने की थी पहल :—-
गांधी संग्रहालय के प्रमुख डॉ रजी अहमद ने बताया कि पटना के ही निवासी चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ रहे एसके सिन्हा ने सबसे पहले यह प्रस्ताव तैयार कर सरकार को दिया था। जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सत्ता में आए तब एसके सिन्हा ने उनसे मिलकर यह प्रस्ताव सौंपा था जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर लिया था। एसके सिन्हा ने जो प्रस्ताव तैयार किया था उसमें द्वार का नाम सम्राट अशोक के नाम पर रखने का सुझाव दिया था। साथ ही ब्लू प्रिंट और नक्शा भी बनाया था। इसमें सम्राट अशोक से लेकर शेरशाह तक की ऐतिहासिक विरासत को समेटा गया था। बाद में इसे अशोक द्वार के बदले सभ्यता द्वार का नाम दिया गया।

परिवहन का मुख्य मार्ग था पटना :

पाटलिपुत्र साम्राज्य का गौरव सामने आए और शेरशाह तक की विरासतों को लोग समझ सकें, यही इस सभ्यता द्वार का प्रमुख मकसद है। गंगा किनारे का यह क्षेत्र सम्राट अशोक के समय परिवहन का प्रमुख मार्ग था। सम्राट अशोक ने जब धम्म विजय की शुरुआत की तब अपने बेटे महेन्द्र को महेन्द्रू घाट से श्रीलंका में प्रचार-प्रसार के लिए भेजा था। इसे आज भी महेन्द्रू घाट के नाम से लोग जानते हैं। महेंद्रू से यह करीब 500 मीटर पर स्थित है।






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