बिहार में बांस की खेती के लिए बंबू सीटम प्लांट का प्रस्ताव

मनीष कुमार भारतीय, गोपालगंज.
सूबे में बांस की खेती को व्यवसायिक रूप दिया जाएगा। इसके लिए तीन जिलों में बम्बू सीटम प्लांट लगाने का प्रस्ताव है। प्लांट में विभिन्न प्रजाति के बांस लगाने के बाद इसके पौधे नर्सरी में तैयार किए जाएंगे। वन उत्पादकता संस्थान, रांची ने पूर्णिया,दरभंगा व गया में बम्बू सीटम प्लांट लगाने का प्रस्ताव तैयार किया है। प्लांट में बांस के पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। फिलहाल हाथी बांस ,नूटन,फाइलो स्टैची,मूली बांस ,चिमनोकल प्रजाति के बांस के पौधे नर्सरी में तैयार करने की योजना है। इन प्रजातियों के बांस से सोफा,पलंग,कपड़े,सर्फिंग एस्बेटेस व घर के विभिन्न सजावटी सामान बनाए जाते हैं।
बिहार में केवल पांच प्रजाति के ही बांस
वन उत्पादकता संस्थान के अनुसार बिहार में बांस के पांच प्रजातियों की ही खेती होती है। जिसमें हरौत,चाभ,मूली बांस,बनवास व लाठी बांस शामिल हैं। जबकि पूर्वोत्तर के त्रिपुरा,असम,मणिपुर,इंफाल व मिजोरम में बांस की कुल सवा सौ प्रजाति उगाई जाती है। बांस का सबसे अधिक उत्पादन त्रिपुरा में होता है।
ट्रेनिंग के लिए बम्बू कॉमन फैसलिटी सेंटर
बांस के उत्पादन को बढ़ाने केे साथ इससे सामान बनाने के लिए सूबे के अररिया,दरभंगा व गया में बम्बू कॉमन फैसलिटी सेंटर खोलने का भी प्रस्ताव है। जबकि हाजीपुर में सेंटर पिछले अगस्त में ही खोल दिया गया है। हाजीपुर के जदुआ में बम्बू ट्रीटमेंट प्लांट भी खोला गया है। प्लांट में वैक्यूम क्रियेट टेक्नोलॉजी से बांस के टुकड़े में दीमक,घुन व दूसरे हानिकारक जीवों से बचाव के लिए केमिकल डाला जाता है। ट्रीटमेंट के बाद बांस करीब पचास वर्षों तक खराब नहीं होता है।
वैज्ञानिक  का कहना है
वन उत्पादकता संस्थान ने पिछले महीने बिहार के तीन स्थानों पर बम्बू सीटम प्लांट खोलने का प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को दिया है। प्रस्ताव मंजूरी की प्रक्रिया में है। वैस सरकार पहले ही इसके लिए अनौपचारिक सहमति दे चुकी है। इससे बांस की व्यवसायिक खेती को बढ़ावा मिलेगा। किसानों की आय बढ़ेगी। आदित्य कुमार,वैज्ञानिक ,वन उत्पादकता संस्थान,रांची
साभार — लाइव हिंदुस्तान






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