अब्दुल कावी देसनवी : जिसे बिहार भूला, उसे उसे गूगल ने डूडल बना कर किया याद

नई दिल्ली: गूगल ने 1 नवंबर को एक खास डूडल बनाते हुए मशहूर उर्दू लेखक और साहित्यिक आलोचक अब्दुल कावी देसनवी को उनके 87 जन्मदिन पर याद किया. जावेद अख्तर और इकबाल मसूद जैसे शायरों को मार्गदर्शन देने वाले अब्दुल कावी देसनवी का जन्म बिहार में 1 नवंबर 1930 को हुआ था. उनके पिता सैयद मोहम्मद सईद रजा थे जो उर्दू, अरबी और फारसी भाषाओं के प्रोफेसर थे. यही वजह रही कि अब्दुल कावी देसनवी को बचपन से ही भाषाओं का अच्छा ज्ञान रहा.
वे न सिर्फ उर्दू भाषा के जानकार थे बल्कि प्रसिद्ध लेखक भी थे. उन्हें उर्दू साहित्य में उनके कार्य के लिए दुनियाभर में जाना जाता है. अब्दुल कावी देसनवी के यूं तो कई प्रसिद्ध कृतियां हैं, लेकिन ‘हयात-ए-अबुल कलाम आजाद’ का उर्दू साहित्य में अलग ही स्थान है. ये किताब स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद के जीवन पर लिखी गई थी, जिसे साल 2000 में प्रकाशित किया गया था. उर्दू पर अच्छी खासी पकड़ रखने वाले देसनवी ने निजी तौर पर भारत के कई बेहतरीन उर्दू कवियों और लेखकों का मार्गदर्शन किया, जिनमें जावेद अख्तर और इकबाल मसूद जैसे नाम भी शामिल हैं.
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के सैफिया कॉलेज में उर्दू विभाग के प्रमुख और कई क्षेत्रीय और राष्ट्रीय साहित्यिक निकायों के सदस्य के रूप में, उन्होंने भारत में उर्दू साहित्य और शैक्षिक विचार के विकास पर एक शक्तिशाली प्रभाव डाला. वे ऑल इंडिया रेडियो पर प्रोग्रामिंग सलाहकार समिति के सदस्य भी थे.2011 में वृद्ध अवस्था से जुड़ी बीमारियों के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया. 7 जुलाई 2011 को उनका निधन हो गया. उनकी कालजयी रचनाओं और उर्दू साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा.
डूडल पर उन्हें याद करते हुए विशेष डिजाइनिंग की गई. गेस्ट गूगल डूडलर प्रभा माल्या ने इस डूडल को डिजाइन किया. जिसमें उन्होंने उर्दू की छाप लाने का प्रयास किया.






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