बिहार में अभी से तैयार होने वाली मिशन-2019 की रणनीति, जानिए कौन पार्टी क्या कर रही है!

पटना. एसए शाद. लोकसभा चुनाव में अभी देर रहने के बावजूद प्रदेश में लगभग सभी राजनीतिक दल मिशन-2019 को लेकर सक्रिय हो गए हैं। उनकी यह सक्रियता राज्य में महागठबंधन सरकार के समय से पहले सत्ता से बेदखल होने और उसकी जगह राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद देखने को मिल रही है। संगठन सुदृढ़ करने को लेकर ये दल इस समय बहुत सतर्क हैं। जनता की गोलबंदी के लिए मुद्दे भी गढ़ लिए गए हैं। संगठन की मजबूती को लेकर सबसे अधिक सक्रिय सत्तारूढ़ दल जदयू दिख रहा है। पार्टी पदाधिकारियों की हर सप्ताह नियमित बैठकें हो रहीं हैं। हाल में हुई राज्य कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी ने सभी 40 संसदीय सीटों पर संगठन सुदृढ़ करने का निर्णय लिया है। जनता में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए राजनीतिक मुद्दों के अलावा दहेज प्रथा एवं बाल विवाह उन्मूलन जैसे सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दे चुने गए हैं।
वहीं सहयोगी दल भाजपा ने भी दो दिन पूर्व हुई राज्य कार्यकारिणी की बैठक में सभी 40 संसदीय सीटों पर तैयारी करने का निर्णय लिया है। पार्टी बूथ स्तर तक अपने संगठन को सुदृढ़ करेगी और जनता के बीच जाति-विहीन समाज का लक्ष्य लेकर पहुंचेगी। यहां यह बताना महत्वपूर्ण है कि प्रदेश के क्षेत्रीय दलों की बड़ी पूंजी जाति आधारित वोट बैंक हैं।
लोजपा की भी दो दिनों पहले राजगीर में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान ने भी सभी 40 सीटों पर संगठन मजबूत करने का एलान किया है। रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने जनता के बीच गोलबंदी के लिए शिक्षा में सुधार का मुद्दा चुना है। इस मुद्दे को लेकर वह 15 अक्टूबर को गांधी मैदान में महासम्मेलन भी करेंगे।
कांग्रेस ने इस बीच चार सालों से प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने डा. अशोक चौधरी को हटा उनकी जगह कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कौकब कादरी को पार्टी की प्रदेश में कमान सौंपी है। कादरी नए सिरे से संगठन चुनाव करा पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने में लगे हैं। सीबीआइ की कार्रवाई का सामना कर रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद भी पीछे नहीं हैं।
राजद ने जनवरी में आयोजित संगठन चुनाव को अगले माह ही निपटाने के निर्णय के अलावा कार्यकर्ताओं से चुनावी मोड में आ जाने का आह्वान कर रखा है। पर्यवेक्षकों का मानना है कि सभी राजनीतिक दल अपने कार्यकर्ताओं को व्यस्त रख उनका उत्साह बनाए रखने की जुगत में हैं। यही कारण है कि चुनाव दूर रहने के बावजूद उनके लिए नए-नए कार्यक्रम तय किए जा रहे हैं। पिछले दिनों कांग्रेस में टूट की अटकलों में मद्देनजर कोई भी दल इस समय अपने किसी नेता या कार्यकर्ता को दलबदल करते देखना नहीं चाहता। स्रोत साभार .जागरण






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