सीबीआई से ज्यादा चर्चा ईडी की क्यों ?

सीबीआई से ज्यादा चर्चा ईडी की क्यों ?
संजय तिवारी, नई दिल्ली।
मनमोहन सिंह सरकार में सबसे ज्यादा किसी केन्द्रीय एजंसी की चर्चा रही तो वह थी सीबीआई। लेकिन मोदी के आठ साल के शासन काल में अगर किसी केन्द्रीय एजंसी की चर्चा सबसे अधिक हुई है तो वह है ईडी। ईडी का अर्थ है इन्फोर्समेन्ट डायरेक्टरेट। यह वित्त मंत्रालय के तहत काम करनेवाली एक ऐसी एजंसी है जो मुख्य रूप ये मनी लांडरिंग और स्टॉक एक्सेंज के जरिए होनेवाली आर्थिक धोखाधड़ी के मामलों की जांच करता है। ईडी या प्रवर्तन निदेशालय की शुरुआत स्वतंत्रता के समय ही हो गयी थी लेकिन 1956 में इसे एक विधिवत एजंसी के रूप में गठित किया गया। 1947 में स्टॉक एक्सचेंज में होनेवाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए इन्फोर्समेन्ट यूनिट का गठन हुआ था जिसे 1 मई 1956 को इन्फोर्समेन्ट डायरेक्टरेट के रूप में स्थापित कर दिया गया।
प्रवर्तन निदेशालय मुख्य रूप से फेरा, फेमा और पीएमएलए कानूनों के तहत काम करता है। इन कानूनों में आर्थिक धोखाधड़ी को रोकने के लिए जो प्रावधान किये गये हैं उन्हीं के तहत यह आरोपितों पर कार्रवाई करता है। इस एजंसी का मुख्यालय दिल्ली में है लेकिन इसके आफिस देशभर में है। दिल्ली के अलावा मुंबई, चेन्नई, कोलकाता में इसके रीजनल आफिस हैं। इसके अलावा लगभग हर राज्य में ईडी के जोनल और सब जोनल आफिस हैं। इस समय ईडी के तहत लगभग दो हजार आफिसर कार्यरत हैं जो विभिन्न सेवाओं से ईडी में डेपुटेशन पर आते हैं। इसमें आईआरएस, आईएएस और आईपीएस सेवाओं से आनेवाले अधिकारी होते हैं।
1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद जैसे जैसे शेयर बाजार का महत्व बढा है वैसे वैसे ईडी के कार्यक्षेत्र में भी विस्तार हुआ है। विदेशी पूंजी निवेश के नाम पर की जाने वाली आर्थिक धोखाधड़ी को पकडऩे के लिए ईडी एक महत्वपूर्ण विभाग है। इसके अलावा मनी लॉड्रिंग के मामले में भी ईडी कार्रवाई करता है। 2018 में केन्द्र सरकार ने मनी लॉड्रिंग के मामलों में पीएमएलए कानून में संशोधन करके ईडी को प्रापर्टी अटैच करने, आरोपी की गिरफ्तारी करने आदि के विशेष अधिकार भी दे दिये गये थे। फेरा, फेमा और पीएमएलए एक्ट के तहत ईडी को इतने असीमित अधिकार हैं कि वह आरोपी को तीन साल तक जमानत देने से रोक सकता है।
लेकिन इधर कुछ सालों से ईडी स्टॉक एक्सचेंज में होनेवाली आर्थिक धोखाधडी को पकडऩे या जांच करने के लिए चर्चा में नहीं है। बीते कुछ सालों से ईडी की चर्चा राजनीतिक महत्व के लोगों पर की गयी कार्रवाई के कारण चर्चा में रहा है। इसमें सबसे बड़ा नाम सोनिया गांधी और राहुल गांधी का है। नेशनल हेराल्ड घोटाले में ईडी ही इस परिवार की भूमिका की जांच कर रहा है। हाल में ही राहुल गांधी और सेनिया गांधी को भी ईडी ने अपने आफिस पूछताछ करने के लिए बुलाया था जिसके कारण देशभर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने केन्द्र की मोदी सरकार और ईडी के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

इसके अलावा पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम के खिलाफ आईएनएक्स घोटाला, महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना नेताओं के खिलाफ ईडी की कार्रवाई में एनसीपी नेता नवाब मलिक तो जेल में हैं जबकि शिवसेना के संजय राउत और अनिल परब की जांच चल रही है। इसी तरह फारूख अब्दुल्ला पर जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के एक मामले में जांच जारी है। पंजाब कांग्रेस के नेता चरणजीत सिंह चन्नी और उनके करीबियों के यहां ईडी के छापे पड़ चुके हैं तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई के घर छापे पड़ चुके हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी नेता सत्येंद्र जैन पर ईडी की कार्रवाई पर जेल में है। झारखंड सरकार के वरिष्ठ अधिकारी पूजा सिंघल और पंकज मिश्रा भी ईडी की जांच के दायरे में है जिसकी आंच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक पहुंचती दिख रही है। बंगाल में ममता बनर्जी सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी के ठिकानों पर ईडी की कार्रवाई से मिल रहे कैश, सोना और दूसरे कागजात देशभर में चर्चा का विषय बने हुए हैं। स्वाभाविक है जब इतने राजनीतिक लोगों पर ईडी कार्रवाई करेगा तो उसके खिलाफ विपक्ष भी इक_ा होकर इसे बदले की कार्रवाई ही बतायेगा। सुप्रीम कोर्ट में ईडी की कार्रवाई को लेकर सौ से अधिक याचिकाएं दाखिल हुई थीं जिस पर एक साथ सुनवाई करते हुए 27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) मामले में ईडी द्वारा की जाने वाली गिरफ्तारियां और अन्य कानूनी कार्रवाई बिल्कुल सही हैं।



« सिवान : प्रेमचंद्र का मनाया गया जयंती समारोह (Previous News)
Related News

सहकारी समितियां भी बदल सकती हैं वोट का समीकरण
संपन्नता की राह सहकारिता ——————– सहकारी समितियां भी बदल सकती हैं वोट का समीकरण अरविंदRead More

भाई-बहिन के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का इतिहास
भाई-बहिन के स्नेह का प्रतीक है रक्षाबंधन का पर्व रमेश सर्राफ धमोरा रक्षाबन्धन का पर्व भाई-बहिनRead More
Comments are Closed