भोजपुरी बोली का न हो दुरूपयोग

संतोष कुमार तिवारी

इतिहास के राजा भोज के वंशज जब बिहार के मल्ल जनपद में आये तब उन्होनें अपनी राजधानी भोजपुर बनाईl और यहीं की स्थानीय बोली प्राम्भ में भोजपुरी कहलाईl धीरे धीरे यह बोली बिहार के अन्य जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश के पुर्वाचल के कई जिलों में बोली व समझी जाती हैl मालूम होना चाहिये कि विश्व में अपना एक अच्छा स्थान रखने वाला देश मारीशस में भोजपुरी बोली जाती हैl भोजपुरी हिन्दी प्रदेश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली बोली हैl लेकिन सभी मान्यताओं को धता बताकर फटेहाल गीतकार व गा़यक अपने भ्रष्ट विचारों के माध्यम से भोजपुरी को भी नंगा करने पर तुले हैl
कभी वह दिन हुआ करता था जब गीत, गजल, कौव्वाली, भजन, कविता, कहानी, लेख या अन्य चीजें साहित्य व संस्कृति से जुड़ी होती थी और ये सभी मानव को जोड़ती है और आगे आने वाली पीढी के लिये एक सबूत के तौर पर रहती है, जिसके माध्यम से पीछे की संस्कृति, रचना, संस्कार, साहित्यिक स्थिति से जानकारी मिलती है लेकिन आजकल के गीतकार न जाने क्या मन में बसायें है कि उन्हें केवल लगता है कि जितना गंदा गीत समाज में लायेंगे उतना ही पैसा कमायेंगे लेकिन ये गीतकार शायद भूल रहे है कि इस गंदे गीतों को प्रभाव सबसे ज्यादा उनके ही बच्चों को मिलेगा.  गीतों के माध्यम से कभी किसी जांति या धर्म के विरोध में लिखना व गाना कहां कि विद्वता है? आखिर गीतकार या गायक ऐसे गीत लाते ही क्यों है जिससे,आपसी द्वेष, क्रोध, विरोध, शर्म या अपमान की अनुभूति होती है? गायकों को तो ऐसे गीत समाज में प्रस्तुत करना चाहिये जिससे समाज का हर वर्ग उस गीत को पसंद करे लेकिन आज भोजपुरी गीत के नाम पर ‘बेशर्म शर्म’ का चादर ओढकर मनमानी फूहड व गंदे गीत युवाओं को पथभ्रष्ट करने में सहायक हो रहे हैl भोजपुरी गीतकारों और गायकों को यह ज्ञात होना चाहिये कि भोजपुरी भाषा का एक अपनी अन्तर्राष्ट्रीय पहचान है, यदि आधुनिक गीतकारों व गायकों को ज्ञान नही है तो भोजपुरी को अपने गंदे विचारों से गंदा करके भोजपुरी को बदनाम न करेंl जिन्हें भोजपुरी गीत का वास्तव में सम्मान या विकास करना है तो समाज के उन्नति के लिये अच्छे गीत लिखें व गाएंl जो फटेहाल गीतकार फूहड गीत लिखते है क्या वे वैसा ही बर्ताव वे अपनी घर की बहन बेटियों के साथ करते है या उनके इस गंदे गीतों की तरह उनके घर में भी ‘गंदगी’ हैl शर्म आनी चाहिये उन बेशर्म गीतकार व गायकों को जो अपने गंदे गीत के माध्यम से बहन बेटियों के सर को शर्म से झुकाने पर विवश कर देते हैl भाई या पिता के साथ कही जा रही बहन या बेटियों इन फूहड गीतों को सुनकर मन ही मन कितना शर्मसार होती है वह तो केवल बेटियां ही बता सकती हैl सरकार को भी चाहिये कि समाज में खुलेआम बेशर्मी व फूहडपन फैलाने वालों के खिलाफ कार्यवाही करेंl तभी ये कलयुगी विद्वान सुधर पायेंगेl गीतकार या गायकों से आग्रह है कि आप समाज में प्रेम, शांति, सौहार्द, भाईचारा, देशभक्ति से भरे गीत लिखे या गायें न कि देश की संस्कृति को बदनाम करने, युवाओं को पथभ्रष्ट करने या गंदी मानसिकता वाले गीत लिखे या गायेंl समाज के लोगों का भी दायित्व बनता है कि गंदे गीतों का समर्थन न करेंl
(संतोष कुमार तिवारी, बेरासपुर, गोपीगंज, भदोही, यूपी)






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