तेजस्वी के नेतृत्व में बदल रही बिहार की राजनीति

तेजस्वी के नेतृत्व में बदल रही बिहार की राजनीति

– नवल किशोर कुमार

बिहार की राजनीति के बारे में जब कभी सोचता हूं तो एक विश्वास पुख्ता होता है कि बिहार में राजनीति विकल्पहीन नहीं हो सकती।

वर्तमान में यह विश्वास तेजस्वी यादव के कारण और बढ़ा है।

कल बिहार विधान सभा में बिहार सरकार के मंत्री रामसूरत राय, जिनके उपर अपने भाई द्वारा संचालित व अपने पिता के नाम पर स्थापित प्राइवेट स्कूल में शराब का गोदाम बनाने का आरोप है, के संबंध में तेजस्वी यादव ने जो रूख अख्तियार किया, वह देखने लायक था।

दरअसल, तेजस्वी यादव ने कल प्रेस कांफ्रेंस में पूरे सबूतों के साथ यह बताया कि कैसे एक कुशवाहा समाज का व्यक्ति जो कि रामसूरत राय के तथाकथित स्कूल का हेडमास्टर था और जिसने बोचहा थाना को सबसे पहले इस बात की जानकारी दी कि स्कूल प्रांगण में हरियाणा नंबर की ट्र्क में शराब है, उसे ही अपराधी बना दिया गया। यहां तक कि उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

तेजस्वी यादव ने कल विधानसभा में इसी मसले पर कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश किया, जिसे अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने खारिज कर दिया।

तेजस्वी यादव को रामसूरत राय के खिलाफ जो सबूत मिले, उन्हें सदन के पटल पर रखने नहीं दिया गया। बात यहां तक पहुंच गई कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों आमने-सामने हो गए।म र्यादाएं तोड़ी गईं।

तेजस्वी यादव ने विधान सभा अध्यक्ष के पक्षपात के बावजूद हार नहीं मानी। उन्होंने पहले तो अध्यक्ष के कक्ष के बाहर धरना दिया और फिर राजभवन मार्च किया।

कल का दिन बिहार की राजनीति के लिए एक सुखद दिन था। विपक्ष सदन से लेकर सड़क तक संघर्ष कर रहा था। वहीं सरकार बैकफुट पर रही।

बिहार को एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। अभी जिस तरीके की राजनीति तेजस्वी कर रहे हैं, उससे उनकी छवि एक मजबूत इरादों वाले नेता की बनती जा रही है।

– नवल किशोर कुमार






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