160 सीटों पर खूंटा गाड़ेगा राजद, शेष सहयोगियों को

वीरेंद्र यादव, पटना। बिहार में नीतीश कुमार के कुनबे से खिलाफ तेजस्वी यादव का कुनबा होगा। दोनों ही नेताओं की छत्रछाया में सांस ले रहे दलों को गठबंधन कहना ही निरर्थक है। एनडीए में शामिल बिहार के तीनों दल बिहार में ही कथित तौर पर खुद को एनडीए कहते हैं, जबकि अन्य प्रदेशों में अपनी-अपनी दुकानदारी है। यही स्थिति तेजस्वी यादव के साथ खड़े दलों का है। बिहार के बाहर कोई तालमेल नहीं है।
बिहार विधान सभा चुनाव में तेजस्वी यादव के कुनबे की बात करें तो कथित गठबंधन बनाने की कवायद ही हो रही है, गठबंधन है नहीं। सबकी अपनी-अपनी भैंस, अपना-अपना खूंटा। एक चुकरता है तो दूसरा डकरता है। वैसी स्थि‍ति में राजद ने अपनी राह तय कर ली है और खूंटों की संख्या भी गिन ली है। अभी राजद के 80 विधायक हैं और आगामी विधान सभा चुनाव में इससे दुगुनी यानी 160 सीटों पर अपनी उम्मीदवार उतारेगा। शेष 83 सीट अपने सहयोगियों के लिए छोड़ सकता है।
राजनीतिक गलियारे की खबरों का विश्वास करें तो राजद के गठबंधन में कांग्रेस और उपेंद्र कुशवाहा की इंट्री पक्की है। यानी तीन के खिलाफ तीन दलों का गठबंधन बन सकता है।
मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम की दिशा अभी तय नहीं है। वह नीतीश और तेजस्वी दोनों के लिए रास्ते खुले रखे हैं। लेकिन पिछले विधान सभा चुनाव में ‘परजीवी’ पार्टियों लोजपा, रालोसपा और हम की दुर्गति उनकी ताकत पर सवाल खड़े करते हैं और यही उनका दुर्बल पक्ष है। राजनी‍ति में वीआईपी ने पहली बार प्रवेश किया है और उसकी राजनीति उपस्थिति अखबारों से बाहर नहीं दिखती है। 
राजद का मानना है कि अकेले सभी सीटों पर लड़ना संभव नहीं है। सहयागी जरूरी हैं, लेकिन सहयोगियों की सीमा भी तय कर लेना जरूरी है। राजद कांग्रेस को अपना अनिवार्य सहयोगी मानता है और रालोसपा को व्यावहारिक सहयोगी मान रहा है। इसके साथ वीआईपी और हम को परिस्थितियों का सहयोगी मानता है। वैसी स्थिति में सभी सीटों पर अपने कार्यकर्ताओं की उपस्थिति और सक्रियता राजद सुनिश्चित करना चाहता है। इसके साथ ही संभावित सहयोगियों की ब्लैकमेलिंग से निपटने की तैयारी कर रहा है, ताकि चुनाव के मौके पर सहयोगी बखेड़ा न खड़ा कर दें।
https://www.facebook.com/JournalistBirendra/



(Next News) »



Related News

  • मोदी को कितनी टक्कर देगा विपक्ष का इंडिया
  • राजद व जदयू के 49 कार्यकर्ताओं को मिला एक-एक करोड़ का ‘अनुकंपा पैकेज’
  • डॉन आनंदमोहन की रिहाई, बिहार में दलित राजनीति और घड़ियाली आंसुओं की बाढ़
  • ‘नीतीश कुमार ही नहीं चाहते कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, वे बस इस मुद्दे पर राजनीति करते हैं’
  • दाल-भात-चोखा खाकर सो रहे हैं तो बिहार कैसे सुधरेगा ?
  • जदयू की जंबो टीम, पिछड़ा और अति पिछड़ा पर दांव
  • भाजपा के लिए ‘वोट बाजार’ नहीं हैं जगदेव प्रसाद
  • नड्डा-धूमल-ठाकुर ने हिमाचल में बीजेपी की लुटिया कैसे डुबोई
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com