यौन कुंठाओं के प्रदर्शन का महावीरी आखाडा

संजय कुमार  
गोपालगंज में प्रशासन ने महावीरी आखाडें पर बंदिश नहीं लगाई थी. फरमान केवल आर्केस्ट्रा और उसमें होने वाले अद्धनग्न कपडे पहनी लडकियों के नाच पर नकेल का था. लेकिन ऐसी फूहडा में मन रमाने वाले गोपालगंज के युवाओं ने इसे  दूसरा रूप देकर प्रचार प्रसार किया. महावीर जी की पूजा शौर्य के रूप में होती रही है. इस मेले में पहले पहलवान लडते थे. लाठी, भाला, फरसा, फट्ठा आदि के साथ जुलूस निकलने की बडी की मजबूत परंपरा रही है. लेकिन गत तीस साल से यह सब धीरे धीरे खत्म हो गया. अब अखाडा अखाडा नहीं रहा. यह यौन अश्लीलता का भौंडा प्रदर्शन और कुठाओं के प्रदर्शन का अखाडा बन गया है. हर महावीरी आखाडा समिति अश्लील नांच नाचने वाली लडकियों के आगे जोश में झुमते युवाओं की भीड के दम पर अपनी प्रतिष्ठा देखती है. कभी भोजपुरी के द्विअर्थी अश्लील गाने पर ठुमने वाली लडकी के आगे नाचने वाले झुंड को गंभीरता से आबजर्ब करके दिखिए उनके अंदर कितनी गहराई तक की यौन कुंठाए छलांग मार मार कर हाव भाव दिखा रही हैं.
युवाओं के इस अश्लील मूड का बाजार कितना बडा है.गोपालगंज के हर आखाडे में करीब 15 से बीस लाख तो केवल आर्केस्ट्रा के नाम पर खर्च होते हैं. पूजा व अन्य व्यवस्थाओं का खर्च अलग है. मीरगंज के अखाडे में भी ऐसा ही होता है. हथुआ में तो आखाडे में सबसे ज्यादा बजट आर्केस्ट्रा डांस के लिए होता है. मजेदार बात यह यह है कि आखाडे में बढिया से बढिया आर्केस्ट्रा बांधने के नाम पर जमकर चंदा वसूली होती है. चंदा वसूली वालों को भी थोडी बहुत चांदी कूटने का मौका मिल जाता है.
इस मामले में हथुआ में होने वाला महावीरी आखाडे में एक दो गांव के आखाडे मिशाल है. हथुआ पंचायत के मनीछापर गांव का आंखाडे में कई साल से बेहतरीन थीम पर एक से बढ कर झांकी निकाली जाती है. ऐसी बात  नहीं है कि यहां आर्केस्ट्रा में लडकियां नहीं नाचती है, लेकिन यह झांकी संदेश परक होने के साथ कई सामाजिक मुद्दे पर संदेश देने वाली होती है. इसके अलावा एक छो झांकियों में समसामयिक मुद्दे पर भी झांकी आंकर्षक का केंद्र होता है. यह सब कुछ एक पीढी से दूसरे पीढी तक हस्तांतरित होते परंपरा के जज्बे व जुनून को कायम रखने के कारण ही संभव हो पाया है. आप दिल से खुद सोचिए कि आर्केस्ट्रा  में अश्लील गाने पर अश्लील हरकत करते हुए लडकियों से आपका मनोरंजन तो होता है, लेकिन क्या आपके घर परिवार की बहन बेटियां भी इसका आपकी तरह की आनंद लेती होंगी. आर्केस्ट्रा में अश्लीलता पर पाबंदी की की प्रशासनिक पहल को धर्म की राजनीति की करनेन वालों शर्म कब करोगे. श्रीरामचंद्र के भक्त महावीरजी तो तो बाल ब्रह्मचारी थे.क्या इस बार के महावीरी आखाडे में अपने परिवार की बहन बेटियों के साथ जाओगे और अश्लील नाच के साथ अपनी एक सेल्फी पोस्ट करोगे…सोचिएगा जरूर!!!





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