130 साल पहले मिला था रविवार अवकाश का अधिकार

जयप्रकाश दूबे, (संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष, किसान मजदूर सेना)

आज 10 जून वह दिन है, जब लम्बे संघर्ष के बाद 130 साल पूर्व आज के ही दिन रविवार (सण्डे) अवकाश का अधिकार हासिल हुआ था जिस व्यक्ति के संघर्ष और अथक प्रयास से हमें रविवार का अवकाश हासिल हुआ है, उस महापुरुष का नाम है नारायण मेघाजी लोखंडे!

लोखंडे, जोतीराव फुले के सत्यशोधक आन्दोलन के कार्यकर्ता थे और कामगार नेता भी थे अंग्रेजो के समय में हफ्ते के सातो दिन मजदूरों को काम करना पड़ता था बेहद बुरी स्थितियां थीं, जहाँ भोजन का भी अवकाश नहीं मिलता था नारायण मेघाजी लोखंडे का अवकाश के लिए अथक प्रयास, लेकिन नारायण मेघाजी लोखंडे का मानना था की, मज़दूरों को एक साप्ताहिक अवकाश मिलना चाहिए!

उनका यह भी मानना था कि सप्ताह में सात दिन हम अपने परिवार के लिए काम करते है लेकिन जिस समाज की बदौलत हमें नौकरियां मिली है, उस समाज के लिए हमें एक दिन अवकाश मिलना चाहिए उन्होंने अंग्रेजो के सामने 1881 में प्रस्ताव रखा। लेकिन अंग्रेज ये प्रस्ताव मानने के लिए तैयार नहीं थे आखिरकार नारायण मेघाजी लोखंडे को सण्डे अवकाश के लिए आन्दोलन करना पड़ा!

आठ साल तक चला आंदोलन ये आन्दोलन दिन-ब-दिन बढ़ता गया। लगभग 8 साल आन्दोलन चला आखिरकार 10 जून, 1890 को अंग्रेजो को सण्डे अवकाश का ऐलान करना पड़ा यह भी जानना जरूरी है कि रविवार अवकाश पर ‘समाज’ का भी हक़ है। क्योंकि यह अवकाश समाज के हित में लगाने के लिए हासिल हुआ था। इसलिए सण्डे का दिन (साप्ताहिक अवकाश) सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित करना चाहिए!






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