लालू पर प्रहार के सहारे सियासी संजीवनी पाने की ‘सुशील तेवर’

संजय कुमार
बिहार कथा : भाजपा-जदयू गठबंधन के दौर में नरेंद्र मोदी बनाम नीतीश कुमार के दौरान सुशील मोदी ने मोदी के खिलाफ नीतीश की तरफदारी कर जाने-अनजाने में अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली थी. बड़े नरेंद्र मोदी की खासियत है, वे विरोधियों को किनारे तो लगाते ही हैं, उन्हें राजनीतिक रूप से मार भी देते हैं. संजय जोशी, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत कई नामों को देखा सकता है. बिहार की सियासत में पार्टी के  अंदर अलग-थलग पड़ चुके सुशील मोदी के पास करो या मरो की अपनी निजी च्वाइस वाली स्थिति है.पार्टी से कोई संभावना नहीं बची, लालू यादव घेर का राष्ट्रीय स्तर पर खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं.तू डाल डाल मैं पात पात की स्थिति है. लेकिन सुशील मोदी जिस शिद्दत से लालू को घेर रहे हैं, उस मुद्दे पर भी अपनी ही पार्टी की ओर से कोई सहारा नहीं मिल रहा है.इस लड़ाई में अकेले ही मैदान मारने की जद्दोजहद में हैं.सुशील मोदी को यह मालूम है कि उन्होंने भूत में चूक कर दी है, तो राजनीतिक के वर्तमान भविष्य में अंधेरा है, यदि वे इस अंधेरे से पार नहीं पाए तो राजनीति के अंधेरे में ही खत्म हो जाएंगे. लेकिन एक सच यह भी है कि कभी-कभी अंधेरी रात भी काफी लंबी होती है…बिस्तर पर करवट लेते, लेते बदन अकड़ जाता है.






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