सीवान के उखई के थे खुदा बख्श, दुनिया को दी दूसरी बड़ी लाइब्रेरी
बिहार कथा (पटना/सीवान)
दो अगस्त को दुनिया के दूसरे सबसे बड़े ग्रंथालय खुदा बख्श ओरियंटल पब्लिक लाइब्रेरी के संस्थापक खुदाबख्श खान की जयंती है। इस जयंती के अलग दिन यानी तीन अगस्त को इनकी पुण्यतिथि भी है। पटना में स्थापित उनकी यह लाइब्रेरी इस्तांबुल सार्वजनिक ग्रंथालय (तुर्की) के बाद दुनिया के दूसरा सबसे बड़े ग्रंथालय के रूप में देखा जाता है। आज यह राष्ट्रीय महत्व की संस्था मान ली गई है क्योंकि 1969 में संसद के एक अधिनियम द्वारा ग्रंथालय का नियंत्रण भारत सरकार अपने हाथ में ले चुकी है। यहाँ पर उर्दू, फारसी और अरबी की हजारों पांडुलिपियाँ मौजूद हैं। खुदाबक़्श का जन्म 2 अगस्त 1842 को सीवान के करीब उखाई गाँव में हुआ था। उनके पूर्वज मुगल राजा आलमगीर की सेवा में थे। उनके पिता पटना में एक प्रसिद्ध वकील थे पर उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा किताबें खरीदने में जाता था। वे ही पटना में खुदाबख्श को लेकर आये थे।
खुदाबक़्श ने 1859 में पटना हाई स्कूल से बहुत अच्छे अंकों के साथ मैट्रिक पास की। उनके पिता ने उन्हें उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता भेज दिया। लेकिन वह नए वातावरण में खुद को समायोजित नहीं कर सके और वह अक्सर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित रहे। बाद में उन्होंने 1868 में अपनी कानून की शिक्षा पूरी की और पटना में अभ्यास शुरू कर दिया। कम समय में ही वह एक प्रसिद्ध वकील बन गए।
1876 में खुदाबक़्श के पिता का देहान्त हो गया मगर पिता ने वसीयत की कि उनका बेटा 1700 के आसपास पुस्तकों के संग्रह बढ़ाने और इसे एक सार्वजनिक ग्रंथालय स्थापित करने का प्रयास करे। 1877 में वे पटना नगर निगम के उपाध्यक्ष बन गए। उन्हें 1891 में उन्हें खान बहादुर के खिताब से सम्मानित किया गया। शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 1903 में उन्हें उस समय सीआईबी के शीर्षक के साथ सम्मानित किया गया।
ग्रंथालय का उद्घाटन 1891 में बंगाल के उपराज्यपाल सर चार्ल्स इलियट के द्वारा किया गया। उस समय इस पुस्तकालय में लगभग 4000 हाथ से लिखी गई पुस्तकें थीं। 1895 में वह हैदराबाद के निजाम के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। तीन साल के लिए वहाँ रहने के बाद, वे फिर पटना लौट आए और पटना में अभ्यास शुरू कर दिया। लेकिन जल्द ही वह पक्षाघात से पीड़ित हो गए और उन्होंने केवल ग्रंथालय तक ही अपनी गतिविधियों को सीमित कर दिया। 3 अगस्त 1908 को उनका निधन हो गया।
Related News
मणिपुर : शासन सरकार का, ऑर्डर अलगावादियों का
(नोट : यह ग्राउंड रिपोर्टिंग संजय स्वदेश ने 2009 में मणिपुर में इंफाल, ईस्ट इम्फालRead More
सत्यजीत राय की फिल्मों में स्त्रियां
सत्यजीत राय की फिल्मों में स्त्रियां सुलोचना वर्मा (फेसबुक से साभार) आज महान फिल्मकार सत्यजीतRead More
Comments are Closed