गोपालगंज में बाढ़ का हाल : नेता हवा में हाल जान रहे, प्रशासन सूखी सड़क पर घूम कर चला जाता है
नेता और प्रशासन को रहता है बाढ़ का इंतजार, मोटी रकम देकर करवाते हैं गोपालगंज में पोस्टिंग
नीतिश कुमार पांडे, गोपालगंज।
इन दिनों करीब आधा बिहार बाढ़ से त्रस्त है। यह प्रकृतिक कोप है। लेकिन इसका का दूसरा पहलू भी है। यहाँ के नेताओं को हर साल बाढ़ कर इंतजार रहा है। राहत राशि में मोटी कमाई के लिए प्रशासन को भी अच्छा मौका मिलता है। सूत्र बताते हैं कि बाढ़ क्षेत्र में कमाई के लिए कई अधिकारी अपनी पोस्टिंग के लिए मोटी रकम देने को भी तैयार रहते हैं। नेताओं और प्रशासन के इस लूट खसोट के खेल में सबसे ज्यादा पीसता है तो वह है बाढ़ पीड़ित। सरकारी मदद तो उन्हें देर से मिलती है, लेकिन इससे पहले बाढ़ पीड़ित अपनी रोजमर्रा की जरूरतें भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। मवेशियों को तो और भी बुरा हाल है।
गोपालगंज जिले के कुचायकोट प्रखंड में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ितों का बुरा हाल है। चुंकि यह इलाका पड़ोसी राज्य नेपाल से सटा हुआ है। हवा हवाई आंकड़ों और प्रशासन के खोखले दावों के साथ चल रहे यहां राहत कार्य की हकीकत यह है कि प्रशासन को यहां भारी बरसात में आपदा पीड़ितों को राहत दिलाने पसीने छूट रहे हैं। कई गांव के लोगों का बाढ़ ने सबकुछ तबाह कर दिया है। सैकड़ों परिवार दाने-दाने को मोहताज हैं। कई परिवार 24 घंटे में मुश्किल से आधे पेट खा पा रहे है।
पानी के साथ जीेन का मजबूर
कुचायकोट क्षेत्र के गुमनिया गाँव के रहमत मियाँ बताते है कि हमारा सबकुछ बाढ़ में तबाह हो गया है। ऊपर से बारिश हमे बीच राह मे लटका रखा है। नेता हवा में हाल जान के चले जाते है और अधिकारी सुखे सड़को से घूम के चले जाते है। असली पीड़ित तो पानी में जीने का मजबूर है।
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गर्भवती को नहीं मिली एंबुलेंस, नेता कर रहे नाटक
स्वास्थ सुविधाओ का हाल यह है कि शिववचन यादव अपनी गर्भवती बहु को आपात स्थिति मे डेंगी (नाव) से धूपसागर गाँव से सिपाया ढाला लेकर आए। प्रशासन द्वारा एंबुलेंस की व्यवस्था न होने से किराये की गाड़ी से शहर ले जाना पड़ा। नीचे पानी ऊपर से पानी और बीच में बाढ़ से जिंदगी संघर्ष करती दिख रही है। किसी भी तरह का कोई राहत कैम्प धरातल पर कार्य नहीं कर रहा। नेता और अधिकारी दोनो बाढ़ पीड़ितों के साथ फोटो खिंचवा कर दर्द बाँटने का नाटक कर चले जाते है।
बीडियो ने बालू से बंद कराया बांध
सिपाया की फुलमती देवी कहती है कि अब तो भगवान ही मालिक है न बारिश से बचने को तिरपाल मिला न खाने को भोजन पुरा घर पानी से घिरा है । जर्जर बाँध से हो रहे रिसाव की ओर इशारा करते हुए 55 वर्षीय गाजर यादव बताते है कि 15 साल पहले इसकी मरम्मत हुई थी तब से हर साल बाढ़ आता है, लोग देखने आते है और चले जाते हैं अब इसकी हालत खराब है कभी भी टूट सकता है। बताते चले कि बखरी पंचायत के रमना मैदान के समीप बाँध से हो रहे रिसाव को रोकने के लिए कल कुचायकोट के बीडियो ने बालू के बोरियो से बंद करने का प्रयास किया था, लेकिन स्थिति अभी भी चिन्ताजनक बनी हुई है। इसी बीच लगातार हो रहे बारिश ने लोगो को रातजगा करने पर मजबूर कर खा है।
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