पार्टी कार्यसमिति में किसे रखना है यह लालू ने तय कर दिया, यह भाजपा के नेता थोड़े ही तय करेंगे!

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बिहार कथा
पटना। बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बाहुबली नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को शामिल करने पर राज्य की राजनीति फिर से गरमा गई है। भाजपा ने जेल में बंद शहाबुद्दीन को आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद का ह्यदुलरुआह्य बताकर सियासी हमला बोला है, वहीं आरजेडी ने बीजेपी को अपनी गिरेबां में झांकने की सलाह दी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरजेडी कार्यकारिणाी में कई आपराधिक मामलों में सजा काट रहे शहाबुद्दीन को शामिल किए जाने पर कहा, ह्यशहाबुद्दीन सजायाफ्ता अपराधी हैं। वह न लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं और न ही पंचायत चुनाव। लालू प्रसाद का दुलरुआ (लाड़ला) होने की वजह से शहाबुद्दीन को आरजेडी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया है।ह्य उन्होंने लालू प्रसाद पर आपराधिक चरित्र के लोगों को बढ़Þावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे इस विषय में क्या सोचते हैं। इधर, आरजेडी की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें पहले अपनी गिरेबां में झांककर देखना चाहिए और अपना घर संभालना चाहिए। आरजेडी अध्यक्ष ने रविवार को नई कार्यकारिणी की घोषणा की है। पार्टी की नई कार्यकारिणी में पांच उपाध्यक्ष, चार महासचिव, नौ सचिव और 56 सदस्यों को जगह दी गई है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राबड़ी के अलावा बेटी तेजस्वी (उपमुख्यमंत्री ) और तेज प्रताप यादव (मंत्री) तथा बेटी मीसा भारती को भी जगह मिली है। वहीं आपूर्व सांसद शहाबुद्दीन की लंबे अरसे बाद आरजेडी कार्यकारिणी में वापसी हुई है। गौरतलब है कि शहाबुद्दीन इस समय सिवान जेल में बंद हैं तथा कई आपराधिक मामलों में सजा काट रहे हैं।

विपक्ष के लोगों को कोई और काम नहीं रह गया है। पार्टी कार्यसमिति में या कोर कमेटी में किसे रखना है यह लालू प्रसाद ने तय कर दिया। यह भाजपा के नेता थोड़े ही तय करेंगे! -सांसद जेपी यादव

 

ऐसा नहीं कि शहाबुद्दीन को लेकर बिहार की राजनीति में पहली बार घमासान मचा है। हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काटा रहे सीवान के इस बाहुबली से मिलने पिछले दिनों बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर जेल पहुंचे तब भी बावेला मचा था। जेल में मंत्री जी की आवभगत की फोटो मीडिया में लीक होेने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जवाब तक नहीं दे पा रहे थे। ठीक वैसा ही अंदाज सोमवार को मुख्यमंत्री सहित जदयू के तमाम आला नेताओं का रहा। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बेहद खास माने जाने वाले शहाबुद्दीन को राजद की कोर कमेटी में जगह क्या मिली, सूबे में सियासी स्यापा मच गया। भाजपा के सुशील कुमार मोदी, प्रेम कुमार, नंद किशोर यादव और प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने मुख्यमंत्री की तरफ सवाल उछाले- सजायफ्ता के साथ गठबंधन दल के मुखिया के ‘सॉफ्ट कार्नर’ पर क्या कहेंगे मुख्यमंत्री? राजद की टिकट पर विधायक, सांसद रहे शहाबुद्दीन की केवल सीवान ही नहीं राज्य के तकरीबन सभी कोने में रहने वाले मुस्लिमों के बीच रॉबिनहुड सी छवि है। यह बात अलग है कि जदयू के शासन में आने के बाद वे लगातार दस सालों से सलाखों के पीछे हैं। जब वे सजायफ्ता हैं, कोई चुनाव नहंी लड़ सकते, जेल से बाहर नहीं आ सकते तो आखिर लालू प्रसाद उन्हें राजद कार्यसमिति की कोर कमेटी में क्यों रखा? इस सवाल पर जदयू के केसी त्यागी कहते हैं, यह राजद का मामला है। उनसे पूछिए, इससे गठबंधन की सरकार पर क्या फर्क पड़ रहा है। यह बात सही है कि यह राजद का विषय है, लेकिन जब गठबंधन में सत्ता की कदमताल साथ पड़ती है तो सवालों का उठना भी लाजिमी है। यह बात अलग है कि इन सवालों से लालू प्रसाद को कोई फर्क नहीं पड़ता। जेल में मंत्री के साथ खानेपीने के दौर पर जब बावेला मचा था तब भी लालू प्रसाद ने शहाबुद्दीन का पक्ष लेते हुए कहा था कि जेल में कोई मंत्री मिलने आएगा तो खातिर तो किया ही जाता है। राजद के वरिष्ठ नेता और सांसद जेपी यादव ने एक प्रश्न के जवाब में कहा, विपक्ष के लोगों को कोई और काम नहीं रह गया है। पार्टी कार्यसमिति में या कोर कमेटी में किसे रखना है यह लालू प्रसाद ने तय कर दिया। यह भाजपा के नेता थोड़े ही तय करेंगे!






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