कल जो काटा-कुटी होने वाली है, वह पानी के सवाल पर होगी

Lalu_Prasad_Yadav1आज देशभर में जलसंकट है। 13 साल पहले 2 अप्रैल 2003 को पटना में बिहार विधान परिषद की ओर से आयोजित एक संगोष्ठी में भविष्य के जलसंकट को लेकर लालू प्रसाद यादव ने ऐतिहासिक भाषण दिया था। प्रस्तुत है जल संकट को लेकर पूर्व सीएम लालू प्रसाद का ऐतिहासिक भाषण :-

तो बालू उड़ेगा, जब पानी नहीं रहेगा तो

लालू प्रसाद यादव
स्वर्गीय चौधरी देवीलाल जी बराबर नदियों को जोड़ने के लिए गारलैंड स्कीम की बात करते रहते थे। हमलोगों के नेता थे। इधर महामहिम राष्ट्रपति जी से अभिभाषण कराया गया कि पूरे देश की नदियों को, जिसमें कहीं सूखा है, कहीं बाढ है और कहीं तबाही है। सिंचाई की बात तो दूर, बहुत सारे राज्यों में पीने के पानी का घोर अभाव है। यह कहा गया है कि हम पूरी नदियों को, सारे बेसिनों को जोड़कर जल की परिक्रमा कराते रहेंगे, यहीं कैम्पेन और यही प्रचार और यही बात हर जगह लोगों को समझाई जा रही है और बताई जा रही है। हम धन्यवाद देते हैं जगदा बाबू को, सभापति जी को और हमारे जो अभियंतागण हैं उनको, कि ऐसी खतरनाक बात पर जहां ढोल पीटा जा रहा है कि यह होगा, वह होगा, पता नहीं, होगा भी कि नहीं होगा? कहा जाता है कि न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी। ख्वाबों की दुनिया में हमलोग विचरण कर रहे हैं।
जिस तरह से बिहार का कोयला, यूरेनियम, बाक्साइट, ग्रेनाइट ले जाया जा रहा है, दूसरी जगह फ्रÞेट इक्वलाइजेशन पालिसी और सब्सिडी के नाम पर। बिहार पिछड़ा का पिछड़ा रह गया और तीन लाइन में रेलवे लाइन बिछाई गई है। खाली मिनरल को ढोने के लिए। फिर भी खदान और झरिया में लगी आग को भी नहीं बुझा पाते हैं लोग्।
हमको यह खतरनाक डिजायन लगता है, आप विद्वान लोग यहां बैठे हैं। सिर्फ यह हमारी सरकार का नहीं, पूरे बिहारी भाईयों का, सभी दलों के लोग जो राजनीति करते हैं और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में हैं, हमको बात उलटी लगती है। एक तो हम गंगा जी को अभी पैदल पार करते हैं, अभी बहुत जगह गंगा मां का बालू से जो पेट भरा है, हमारा सब पानी चला जा रहा है, उधर उत्तर प्रदेश में और दूसरे राज्यों में भी। अभी हरिद्वार मैं गया था। तीन लाइन में वहां है पानी। जहां से शुद्ध जल निकलता है, चला जा रहा है, उधर जहां पंजाब वगैरह है और बगल का जो राज्य है। सरप्लस पानी कभी हो जाता है तो छोड़ देता है, इधर गंगा में। देवगौड़ा जी जहाज से जाकर, जितना बचा हुआ था हमारा पानी, वह बांग्लादेश को नीलाम कर आए। दे आए पानी, जब देवगौड़ा जी थे। अभी हालात क्या है, जो आप देख आए, बांस घाट भी अकेला पड़ गया। सूनसान पड़ गया। पानी ही नहीं है। सूख गई नदी। अब जो भी पानी आता है, थोड़ा बरसात वगैरह में पानी आया, नेपाल से होकर आया और पानी मिलकर धड़ाधड़ इधर उधर निकल जाता है। तो हमलोग यह लगातार बात कर रहे हैं कि कल जो मारपीट होने वाली है,, इस मुल्क के अंदर और काटा-कुटी होने वाली है, वह पानी के सवाल पर होने वाली है। हमको, बिहार को कुछ मिला नहीं। बिहार को कमजोर बकरी की तरह दूहा गया और जो लोग थे, खैरात में दान करते चले गए। बहुत सारी चीजों की चर्चा हम नहीं करते, यह जातपात वाली तुरंत दस तरह की बातें खड़ी हो जाती हैं। जो हुआ है हम लोगों के साथ और बिहार के साथ,आज से नहीं, बहुत पहले से है। अब जो हमारा पानी बचा हुआ है, अंगुठा का निशान देने के लिए हमलोग तैयार हैं। यदि हमारा पानी हमारे बिहार में ही चारों तरफ से परिक्रमा करता रहे, लिंक कर दिया जाय, तो यह बड़ा भारी उपकार हो जाएगा। अगर यह काम हो जाय। लेकिन हमारा पानी साजिश के तहत ब्रह्म्पुत्र का पानी, असम का पानी और बिहार में जमा होने वाले पानी को खींचकर ले जाने का यह षडयंत्र है, दूसरे राज्यों में ले जाने का षडयंत्र।skshya ndiyo ki aag magizn of bihar vidhan parisad
कौन आएगा अपने यहां? पानी नहीं रहेगा और पानी नहीं रहेगा तो आदमी, जैसे चूना सूख जाता है। पानी नहीं रहेगा तो कोई इकाई, कोई उद्योग धंधा लगाने वाला आपके यहां नहीं आएगा। पानी जो हमारा है, वह रुक गया है, तो जितने बाहर भागे हुए हैं लोग, सबको लौटकर आना पड़ेगा। चूंकि हमारा एक पानी ही तो है, हमलोग अब पानी देने के लिए तैयार नहीं हैं और हम आपको कुछ बता दें, चूंकि कोई ज्यादा भाषण, कोई हमलोग विद्वान नहीं हैं। बहुत कुछ हमलोगों ने गंवाया, इसमें सरकार को खत्म कर देंगे हमलोग, झोंक देंगे, कोर्ट का कंटेम्प्ट भी हमलोग झेल लेंगे लेकिन बिहार का पानी खींचकर हम नहीं देने जाएंगे। और हां, अगर कोई कहता है कि बिहार में पानी खींचकर लाया जाएगा दूसरे राज्य से, हमारा जब अभाव होगा, तो वह आके दिखावे कि कहां से पानी लाएगा? कहां से पानी लाएगा?
अभी मैं गुजरात गया था। गुजरात में धरती की छाती फटी हुई है। राजस्थान में भी। यह सब सोचिए, विचारिए आप लोग। चूंकि बात है खतरनाक। यह बहुत बड़ी खतरनाक बात चल रही है कि बिहार का पानी और उधर ब्रह्मपुत्र का पानी सब महानंदा के रास्ते से खींच कर के सब पानी लिए जा रहा है। यह है हमको खतरा, यह है हमको संदेह और हमको लगता है संकेत। इसलिए इस पर सभी लोग सोच के, विचार के और सभी लोगों को कान्फिडेंस में लेकर सारी बात करें। लेकिन हम लोग तो दृढ संकल्पित हैं। फिर हमलोग क्या करेंगे? बालू उड़ेगा। जैसे बगदाद के नजदीक जाने में अमेरिका को जाना पड़ रहा है रेत में से होकर, वहां बालू ही उड़ रहा है। तो बालू उड़ेगा, जब पानी नहीं रहेगा तो। इसलिए इस पर बहुत गंभीरता से विचा र करने की आवश्यकता है।

अच्छा और अच्छा हुआ कि एक गोष्ठी करके इसकी शुरुआत हमलोगों ने कर दी है। कैसे पानी लिया वह? दिग्विजय सिंह को फ़ोन किया तब वह हमको पानी छोड़ा। अभी रबी पटाने के लिए बाणसागर वाला। हमको कहा कि भाई, आप लोगों ने पानी बंद कर दिया बिहार का? आपके चीफ़ सेक्रेट्री बंद कर दिया। तब जाकर गेहूं या जो लगता है, वह लगता है। इसलिए इसमें हमको वाइड कांस्पिरेसी लगता है। दिल्ली में बैठे हुए हाई-फ़ाई लोग, जिनका दिल्ली पर हमेशा डोमिनेशन रहा है, जो सारे इंडस्ट्रीज खींच कर ले गये, अपने यहां आजतक और सारी चीज सब पानी का मारकाट, जब युद्ध छिड़ा हुआ है और षडयंत्र करके, फ़िर भी कहीं कुछ नहीं करेगा लोग। पहले इधर से ही बना देगा, बिहार वाला। बिहार से ले जाने वाला बना देगा और बाकी छोड़ देगा। बनायेगा भी नहीं। बोलेगा कि अभी वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए एक दम इसके लिए हर आदमी को तैयार रहना पड़ेगा। दिल्ली में भी फ़िर थोड़ा बुझ लेते हैं। हमको बताइये, इस पर डिस्कसन करिए कि कहां से पानी, कहां से कहां का पानी कहां जाएगा? कहां से पानी आएगा इधर से? और फ़िर जब यह लिफ़्ट करके ले जाएगा, हमारी जमीन चीरते हुए, काटते हुए, पता नहीं, कहां-कहां विस्थापित होंगे लोग। पानी जाएगा और फ़िर कहीं टूटा तो लोग जाकर के दह करके मरेंगे। कितनी जमीन हमारी जाएगी।

आप सब विद्वान लोग जो यहां आये हुए हैं, चिंतक लोग हैं, यह आपका और हमारा धर्म बनता है कि इससे कोई भिन्न जो हमारा अंदेशा और शक है, इसके समाधान के बारे में अगर कोई चीज सोच विचार होंगे, विभाग के लोग, इंजीनियर लोग और इस काम में लगे हुए लोग तो बता दिजीये। लेकिन इसमें हमको खतरा लगता है। इसके लिए हम आपको धन्यवाद देते हैं। अपनी बात समाप्त करते हैं।(बिहार विधान परिषद की पत्रिका साक्ष्य “नदियों की आग” से साभार) with thanks from apanabihar.org



« (Previous News)



Related News

  • लोकतंत्र ही नहीं मानवाधिकार की जननी भी है बिहार
  • भीम ने अपने पितरों की मोक्ष के लिए गया जी में किया था पिंडदान
  • कॉमिक्स का भी क्या दौर था
  • गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र
  • वह मरा नहीं, आईएएस बन गया!
  • बिहार की महिला किसानों ने छोटी सी बगिया से मिटाई पूरे गांव की भूख
  • कौन होते हैं धन्ना सेठ, क्या आप जानते हैं धन्ना सेठ की कहानी
  • यह करके देश में हो सकती है गौ क्रांति
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com