बिहार का दूध पीकर दम दिखा रहे सियाचीन के जवान
बिहारशरीफ,.नालंदा पैक्ड मिल्क अब न सिर्फ पूर्वोत्तर भारत के लोगों को हेल्दी बना रहा है, बल्कि सियाचीन व लद्दाख के जवानों में भी दम भर रहा है। नालंदा के टेट्रा पैक्ड मिल्क को बिना फ्रीजिंग के सामान्य तापमान पर 180 दिनों तक रखा जा सकता है। यहां रोजाना चार लाख लीटर दूध की प्रोसेसिंग होती है। इसके कारण भारत की सीमाओं की रक्षा में जुटे जवानों को उपयोग में आसानी होती है। सिक्स लेयर्ड पैकिंग के कारण इसे एक से दूसरी जगह ले जाना भी काफी आसान होता है। सियाचीन क्षेत्र की एजेंसी एक लाख लीटर दूध यहां से ले जाती है।
पड़ोसी व पूर्वोत्तर राज्यों के मिल्क मार्केट पर नालंदा डेयरी ने आधिपत्य जमा लिया है। डेयरी के उत्पादों को परखने आये असम सरकार के अधिकारी अरुण गोगोई बताते हैं कि टेट्रा पैकिंग के कारण इसका संरक्षण काफी आसान तो है ही, स्वाद व गुणवत्ता में भी अन्य की अपेक्षा काफी बेहतर है। सियाचीन व लद्दाख जैसे दुर्गम स्थलों पर भेजने के लिए विशेष तरह के वाहन का उपयोग किया जाता है।
दूध की कमी होने पर पाउडर से बनाया जाता है दूध
बिहार की सभी डेयरियों के अलावा ओडिसा व झारखंड की डेयरियों को नालंदा डेयरी स्थायी बाजार दिलाने में मदद कर रही है। उन डेयरियों के पास जब दूध की अधिकता होती है तो उसे नालंदा भेज दिया जाता है। यहां उस दूध से पाउडर बना लिया जाता है। जब वहां दूध की कमी हो जाती है तो नालंदा डेयरी पाउडर से दूध बनाकर उसकी पूर्ति करती है। ऐसे में अब वे डेयरियां दूध का स्थायी बाजार ढूंढ़ सकती हैं।
पूर्वोत्तर भारत की फुली ऑटोमैटिक है डेयरी
1.28 अरब से बनी नालंदा डेयरी पूर्वोत्तर भारत की इकलौती फुली ऑटोमैटिक डेयरी है। दुग्ध वाहन से दूध उतारने से लेकर पैकिंग करने तक का काम सिर्फ मशीनों से होता है। यहां तक की कंटेनर की धुलाई के लिए भी मानव बल की जरूरत नहीं पड़ती है। इस कारण यहां पैकिंग होने वाले दूध में गुणवत्ता का हृास नहीं होता है।
क्यों बढ़ती जा रही नालंदा डेयरी के दूध की मांग
1. डेयरी के कर्मचारी यह ध्यान रखते हैं कि कोई किसान ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन का उपयोग कर मवेशी से दूध न निकाले।
2. मिल्क कलेक्शन सेंटर किसी भी सूरत में दूध में फॉर्मलीन का उपयोग नहीं करते हैं।
3. डेयरी कैम्पस में कहीं भी मैन्युअल काम नहीं होता है।
नालंदा डेयरी के उत्पाद
1. साधारण पैकिंग वाला दूध पैकेट।
2. एलेक्सटर पैकिंग वाला दूध पैकेट। (इसे 90 दिनों तक सामान्य तापमान में रखा जा सकता है।
3. टेट्रा पैकिंग वाला दूध पैकेट।
4. मिल्क पावडर।
5. बटर।
6. घी।
अधिकारी बोले
मिल्क कलेक्शन से लेकर पैकिंग तक सफाई का काफी ध्यान रखा जाता है। साथ ही उसकी गुणवत्ता की जांच डिजिटल तरीके से होती है। ऐसे में मिलावट की संभावना शून्य हो जाती है। हम प्रयासरत हैं कि नालंदा डेयरी के उत्पादों का मार्केट पूरा भारत बने। इस दिशा में काम शुरू भी कर दिया गया है।
एके सिंह, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, नालंदा डेयरी
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