लालटेन, तीर छोड़कर ‘चक्र’ से चक्रव्यूह रचेंगे लालू और नीतीश
शिशिर सोनी. नई दिल्ली।
बिहार विधानस•ाा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद राजद-जदयू महागठबंधन की गाठें और मजबूत करने की दिशा में पहल शुरू हो गई है। इस बार पहल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से की गई है। दोनों दलों के विलय का प्रस्ताव पर काम फिर शुरू हुआ है। दोनों दलों के बीच स्वीकार्य चुनाव चिन्ह के रूप में जनता दल के ‘ओरिजनल’ चक्र छाप को चुनाव आयोग से ‘फ्री’ करने की नए सिरे से मांग की जाएगी। इस बारे में अनौपचारिक रूप से हालांकि आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों से दल के नेताओं की बातचीत चल रही है। सूत्रों ने बताया कि अगर जनता दल से अलग हुए धड़ों को चक्र चुनाव चिन्ह फिर से आवंटित किए जाने पर विरोध न हो तो उसे बिहार के दोनों दलों के विलय के बाद उपयुक्त औपचारिकता के बाद चुनाव चिन्ह के रूप में जारी किया जा सकता है। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और जदयू नेता नीतीश कुमार, शरद यादव स•ाी इस मामले में अब एकराय हैं कि चक्र चुनाव चिन्ह मिल जाए तो फिर से जनता के पुराने स्वरूप को कम से कम बिहार में वापस लाया जा सकता है। दरअसल, नीतीश कुमार को •ाली•ाांति इस बात का इल्म है कि चारा घोटाले के •ा्रष्टाचार में अ•िायुक्त होने के बाद लालू प्रसाद चुनाव नहीं लड़ सकते। •ाविष्य में दिल्ली की ओर कूच करने का अ•िायान चलाया गया तो जाहिरतौर पर उसकी अगुवाई नीतीश कुमार के हाथों में ही होगी। यही कारण है कि आम चुनाव में मोदी लहर में बुरी तरह हारने के बाद लालू प्रसाद ने नीतीश की ओर हाथ बढ़ाया था अब समय रहते नीतीश चाहते हैं कि विलय की औपचारिकता को अंजाम तक पहुंचाया जाए ताकि 2019 के लोकस•ाा चुनाव से पहले चक्र चुनाव चिन्ह को देश•ार में लोकप्रिय बनाया जा सके। जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इस दिशा में ठोस पहल की जा रही हे। नीतीश कुमार ने जद सेक्युलर के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा से बातचीत कर उन्हें इस मसौदे से अवगत कराया है। जनता दल में टूट के बाद चुनाव आयोग में जदयू की तरफ से चक्र चुनाव चिन्ह को ‘फ्रिज’ करने की अर्जी दी गई थी। लालू-नीतीश द्वय को इस बात विश्वास है कि लालटेन और तीर छोड़ने पर अगर चक्र का फिर से साथ मिल जाए तो देश की सियासत में •ााजपा को मात देने के लिए नए चक्रव्यूह की रचना की जा सकती है। from haribhoomi.com
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