बार बालाओं के लिए स्वर्ग है सोनपुर मेला, एक दिन में कमाती हैं 5000 रुपए
1100 बार बालाएं व डांसर आईं हैं मेला में,थिएटरों का रिकार्ड टूटा
अमिताभ कुमार सिंह. हाजीपुर।
एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला इन दिनों अपने थिएटरों और बार बालाओं के डांस के लिए मशहूर हो रहा है। अपने लटके-झटके और डांस से लोगों का मनोरंजन करने वाली बार बालाओं के लिए यह किसी जन्नत से कम नहीं है। बाल बालाओं को यहां डांस करने के लिए प्रति दिन 5 हजार रुपए तक मिल रहे हैं।
सोनपुर मेले में इस साल 11 थिएटर कंपनियां आई हैं। इन थिएटरों में विभिन्न प्रदेशों के लगभग 11 सौ से अधिक बार बालाएं व डांसर भी आई हैं। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कोलकाता और मुंबई से आईं कलाकारों ने अपना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इन थिएटरों से मेला क्षेत्र पूरी रात गुलजार रहता है। नपुर मेले के इतिहास में इस बार सबसे अधिक थिएटर लगे हैं। अब तक के रिकार्ड में 4-5 थिएटर लगते रहे हैं। इस बार दोगुने से भी अधिक 11 थिएटर कंपनियां मेले में आई है। मेले के पग-पग पर एक थिएटर हॉल लग गया है।
मेले में थिएटर देखने वाले दर्शकों की भीड़ सुपर स्पेशल क्लास में ज्यादा होती है। दर्शक डांसर को करीब से देखने की चाह रखते हैं। थिएटर वाले भी बताते हैं कि इस क्लास की टिकटों की काफी बिक्री होती है। एक दिलचस्प बात यह है कि जितने भी दर्शक आएंगे उन्हें टिकट मिल जाता है। हाऊस फुल की समस्या कभी आती नहीं। दर्शक बढ़ÞÞने पर कुर्सियां बढ़ई जाती है।
5 हजार से एक हजार रुपए शुल्क
सोनपुर मेले में दिल्ली से आई मशहूर बार बालाओं सबसे ज्यादा फीस लेती हैं। सबसे महंगी बार डांसर प्रत्एक रात प्रदर्शन के बदले 5 हजार रुपए लेती है। बार बालाएं आने से पहले ही थिएटर के ठेकेदार से फीस का करार कर लेती हैं। शुल्क के अलावा खाने-पीने, आवासीय सुविधा देने और यात्रा भत्ता देने का भी करार रहता है।
समय के साथ बदली थिएटर की प्रस्तुति
साठ के दशक में यहां देश की नामी-गिरामी थिएटर कंपनियां आती थीं। उस समय नौटंकी का आयोजन होता था। नगाड़ा की आवाज और कलाकारों की नाट्य प्रस्तुति देखने के लिए लोग सपरिवार थिएटर में आते थे। उस समय मेले में विशुद्ध मनोरंजन की परंपरा थी। 1970-80 की दशक में इसमें बदलाव आया। मेले में इन थिएटरों की जगह ब्लूज डांस शुरू हुआ। यहीं से मेले के थिएटर के कला मे क्षरण शुरू हुआ। इस ब्लूज डांस में पंजाब से आने वाली डांसरों द्वारा अर्धनग्न डांस परोसा जाने लगा। इस डांस प्रोग्राम में दर्शकों की भीड़ बढ़ने लगी थी। कई सालों तक यह डांस चलता रहा। इसी दशक में एक और बदलाव आया। ब्लूज से भी आगे जाकर कैबरे ओरिएंटल डांस शुरू हुआ। इसमें दर्शकों को मद्रास और बेंगलुरु के फाइव स्टार होटलों की तरह नग्न डांस प्रोग्राम शुरू हुआ। यह भी कई साल तक चला। इतना ही नहीं इसी दशक में मेले के थिएटर आयोजकों ने एक कदम और आगे बढ़ गए। इसके बाद सोनपुर मेले के थिएटरों के मंच टेम्पीटेशन डांस प्रोग्राम शुरू हुआ। सरकार द्वारा इस पर रोक लगाने के बाद थिएटर में महानगरों की होटलों की तरह डांसरों के द्वारा रिकार्ड डांस का प्रोग्राम होता है। from bhaskar.com
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