एक आंख नहीं होने जिसे मां ने बस स्टैंड पर छोड़ दिया था, वह अब अमेरिका में रहेगी
नालंदा। जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारो…। अनाथ बेबी और अनुष्का के लिए यह पंक्ति सौ फीसदी सटिक बैठती है। दोनों बच्चियों को दो अमेरिकी दंपती ने गोद लिया है। सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद मदर टेरेसा अनाथ आश्रम सेवा नालंदा में रह रहीं इन दोनों बच्चियों को अमेरिकी दंपती को बुधवार को सौंप दिया गया।
पांच साल पहले 12 जुलाई 2010 को बेबी की मां ने हिलसा बस स्टैंड के पास बैठा यह कहकर बस पकड़कर चली गई कि मैं इलाज कराकर आती हूं। शाम तक जब मां वापस नहीं आई, तब स्थानीय लोगों ने बेबी को थाना पहुंचाया। पुलिस ने उसे समाजसेवी आशुतोष कुमार मानव को सौंपा दिया। जिनकी मदद से उसे मदर टेरेसा अनाथ आश्रम पहुंचाया गया। उस समय उसकी उम्र लगभग साढ़े पांच वर्ष थी। बेबी का कसूर सिर्फ इतना है कि उसकी एक आंख खराब है। उसे गोद लेने वाले अमेरिकी दंपती माइकल मेथाइस ट्रेनर और कारोल माग्रेट्र हॉक ने बताया कि मुझे बेबी बहुत पसंद है। इसकी आंखों का इलाज हम अपने देश में करवाएंगे।
अनुष्का को उसके माता-पिता ने आरा के पास सासाराम-पीरो हाइवे के पास 12 अक्टूबर 2014 को श्मशान में फेंक दिया था। उसके एक पैर को कुत्ते नोच रहे थे, तभी एक पुलिस अधिकारी की उस पर नजर पड़ी। अधिकारी ने उसे थाना की मदद से अस्पताल पहुंचाया। अनुष्का के जख्म में कुछ सुधार हुआ तो पुलिसवालों ने उसे आरा की बाल कल्याण समिति के हवाले कर दिया। बाद में समिति ने तीन नवंबर को अनुष्का को मदर टेरेसा अनाथ आश्रम में पहुंचाया। अनुष्का के नए माता-पिता अमेरिका के ओलाहोमा शहर के बेंजामिन टेलर चील्ली व अब्बे इलिजाबेथ चील्ली ने कहा कि बच्चों का भविष्य बनाएंगे। आश्रम की सचिव बबीता कुमारी ने कहा कि दंपती को कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद बच्चियों को सौंपा गया। from livehindustan.com
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