जाति को ध्यान में रखकर बंटा है टिकट
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार चुनावों में भले ही जाति की बातें करने से बच रहे हों और विकास पर चर्चा कर रहे हों लेकिन टिकट बंटवारे में लगता है कि जातीय समीकरण को ही मुख्य रूप से ध्यान में रखा गया है। भाजपा नीत राजग ने अभी तक घोषित 214 उम्मीदवारों में से जहां 86 सीट ऊंची जाति के उम्मीदवारों को दी है, वहीं महागठबंधन ने 63 सीट केवल यादवों को दी है, क्योंकि उनका प्रयास है कि राज्य में सर्वाधिक संख्या वाली जाति का समर्थन उनको मिलता रहे। ऊंची जाति कुल मतदाताओं का 14 फीसदी से ज्यादा नहीं हैं, लेकिन राजग ने उन्हें अभी तक 40 फीसदी से ज्यादा सीट दी है। यह इस बात का संकेत है कि उनका भरोसा अब भी ऊंची जाति पर ही है जहां भाजपा का मुख्य जनाधार माना जाता है। भाजपा भी यादवों को रिझाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और उन्हें 22 सीटें दी हैं, वहीं लालू यादव ने अपनी पार्टी को मिली 101 सीटों में से 48 सीटें पिछड़े समुदाय के लिए आवंटित की हैं। यादव कुल आबादी का करीब 12 से 14 फीसदी हैं जो नीतीश-लालू गठबंधन के सत्ता में बने रहने के लिए मुख्य आधार हैं।
दिलचस्प बात यह है कि मुस्लिमों की आबादी 17 फीसदी है लेकिन उन्हें न केवल राजग से बल्कि महागठबंधन से भी उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। राजद और जद यू ने संयुक्त रूप से उन्हें 202 सीटों में से केवल 23 पर टिकट दिया है। दोनों दलों में सूत्रों ने दावा किया कि अगर अल्पसंख्यक समुदाय ज्यादा दिखेगा तो सांप्रदायिक धु्रवीकरण होने की आशंका है। राजग ने अभी तक केवल नौ सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है। कांग्रेस ने 41 सीटों में से 10 पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। कांग्रेस महागठबंधन में शामिल है। दोनों गठबंधन की तरफ से महादलितों और अत्यंत पिछड़ी जातियों को रिझाने का प्रयास जारी है जो अभी तक नीतीश का समर्थन कर रहे थे लेकिन राजग जीतन राम मांझी के माध्यम से उनको अपने पाले में लाने के लिए प्रयासरत है। दोनों गठबंधन की तरफ से इन्हें काफी संख्या में टिकट दिया गया है।
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